नीलगिरी एनवायरमेंट सोशल ट्रस्ट (एनईएसटी) के वी शिवदास का मानना ​​है कि यह बदलाव ग्लोबल वार्मिंग और अल-नीनो प्रभाव के कारण है.

नीलगिरी: 

देश के कई हिस्सों में कड़ाके की ठंड से लोग परेशान हैं. हालांकि दक्षिण भारत (south india) के राज्यों में ठंड का प्रकोप समुद्री इलाका होने के कारण कम देखा जाता रहा है. लेकिन कुछ पहाड़ी क्षेत्रों में ठंड का असर देखने को मिलता है. हालांकि इस साल मौसम ने करवट ली है. तमिलनाडु के कई हिस्सों में तापमान शून्य तक पहुंच गया है.  आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, उधगमंडलम के कंथल और थलाईकुंठा में तापमान 1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है. जबकि बॉटनिकल गार्डन में पारा 2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है. वहीं सैंडिनल्लाह 3 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है.

कड़ाके की ठंड से परेशान हैं लोग

इस पहाड़ी जिले में तापमान में गिरावट ने लोगों को कड़ाके की ठंड से जूझने पर मजबूर कर दिया है. जलवायु परिवर्तन से मौसम में हुए परिवर्तन से लोग परेशान हैं.  इसका असर खेती पर देखने को मिल रहा है. हरे-भरे लॉन पाले से ढके हुए हैं और घने कोहरे के कारण दृश्यता प्रभावित हुई है. क्योंकि स्थानीय लोग गिरते तापमान के कारण स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं.

पर्यावरण कार्यकर्ताओं का क्या कहना है? 

नीलगिरी एनवायरमेंट सोशल ट्रस्ट (एनईएसटी) के वी शिवदास का मानना ​​है कि यह बदलाव ग्लोबल वार्मिंग और अल-नीनो प्रभाव के कारण है. उन्होंने कहा कि ठंड की शुरुआत में देरी हो रही है और इस तरह का जलवायु परिवर्तन नीलगिरी के लिए एक बड़ी चुनौती है और इस बारे में अध्ययन किया जाना चाहिए.  यहां बड़े पैमाने पर होने वाले चाय की खेती को भी इससे नुकसान हो सकता है.

चाय की खेती पर पड़ेगा असर

स्थानीय चाय श्रमिक संघ के सचिव आर सुकुमारन ने कहा, दिसंबर में भारी बारिश और उसके बाद ठंड की अवधि ने अब चाय बागान को प्रभावित किया है.  उन्होंने आशंका जताई कि इससे आने वाले महीनों में उत्पादन प्रभावित हो सकता है. सब्जी उत्पादक किसानों का कहना है कि मौसम का असर खास तौर पर गोभी पर पड़ा है. एक सरकारी कर्मचारी एन रविचंद्रन ने कहा कि ठंड की स्थिति के कारण काम के लिए जल्दी घर से निकलना मुश्किल हो जाता है.

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