रायपुर. निलंबित एडीजी जीपी सिंह के मामले में राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में केविएट प्रस्तुत किया गया है। राज्य सरकार ने अपने केविएट में कोर्ट से आग्रह किया है कि इस मामले को लेकर यदि कोई याचिका दाखिल होती है तो सीधे कोई फैसला या संरक्षण देने के पूर्व राज्य सरकार का भी पक्ष सुना जाए। एंटी करप्प्शन ब्यूरो की छापेमारी में एडीजी जीपी सिंह के निवास से मिले सरकार विरोधी कागजात के बाद गुरुवार आधी रात कोतवाली पुलिस ने राजद्रोह और धार्मिक उन्माद फैलाने का केस दर्ज किया, जिसके बाद जीपी सिंह अपने रिजर्व पुलिस लाइंस स्थित सरकारी निवास से गायब हो गए हैं। उनकी सरकारी गाड़ी भी निवास में नहीं है। अब जीपी सिंह की निगरानी में तैनात इंस्पेक्टर और पुलिस जवानों पर कार्रवाई हो सकती है। इधर, जीपी सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर साजिश की दुहाई दी है।

गौरतलब है, 3 जून को जीपी सिंह के निवास से ईओडब्लयू-एसीबी की जांच में ऐसे दस्तावेज मिले थे, जिसमें सरकार के खिलाफ षड़यंत्र रचने और धार्मिक उन्माद फैलाने जैसी बातें डायरी में लिखी थीं। इसके बाद ईओडब्लयू के निदेशक की शिकायत पर गुरुवार आधी रात को जीपी सिंह के खिलाफ धारा 124 (क) और 153 (क) के तहत केस दर्ज किया गया है।

दो डीएसपी ने दिए थे बयान

ईओडब्ल्यू व एसीबी के इंस्पेक्टर मंगेश देशपांडेय और डीएसपी सपन चौधरी का कोतवाली पुलिस ने बयान दर्ज किया। पुलिस को मिले शिकायती पत्र में लिखा था, जीपी सिंह के निवास की तलाशी में पिछले हिस्से में कागज के फटे टुकड़े मिले थे। टुकड़ों का मिलाने करने पर उसमें राज्य के कई विधानसभा क्षेत्रों के प्रतिनिधियों-उम्मीदवारों का गोपनीय विश्लेषण लिखा पाया गया। शासकीय योजनाओं-नीतियों, सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर गंभीर टिप्पणी की गई थी। इसमें सरकार के प्रति घृणा असंतोष उत्पन्न करने जैसी भड़काऊ बातें लिखी गई थीं। इसके अलावा कई धर्म मूलवंशों के संबंध में भी आपत्तिजनक बातें लेख-टाइप होना पाया गया।

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