सरकार बनाने के लिए दूसरे दलों की मदद कर चुके रणनीतिकार प्रशांत किशोर अब राजनीति में अपनी गुंजाइश देखेंगे। इसकी शुरूआत बिहार से करेंगे। उन्होंने सोमवार को एक टवीट के जरिए यह संकेत दिया है। वे बिहार में प्रचलित सुशासन के बदले उसी भाव से जन सुराज अभियान चलाएंगे। उन्होंने कहा कि जनतांत्रिक प्रणाली में अपनी अर्थपूर्ण भागीदारी की शुरुआत करने जा रहे हैं। करीबी सूत्रों का कहना है कि पीके जल्द ही राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा करेंगे। लोगों से मिलेंगे। उनकी मूलभूत समस्याओं को सुनेंगे। निदान के उपाय बताकर अगला कदम उठाएंगे।

पीके तीन दिनों से पटना में हैं। पहले बताया गया था कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर राजनीतिक चर्चा करेंगे। लेकिन, खबर लिखे जाने तक उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री से नहीं हो पाई है। सूत्रों की माने तो पीके तुरंत किसी राजनीतिक दल के गठन या चुनाव लड़ने की घोषणा नहीं करेंगे। भ्रमण के दौरान अगर लोक लुभावन मुद्दे की पहचान हो गई तो वे संभावना देखेंगे कि उस पर आम लोगों को गोलबंद किया जा सकता है या नहीं। विधानसभा के बीते चुनाव में रोजगार मुद्दा बना था। राजद ने 10 लाख लोगों को नौकरी देने की घोषणा की तो जवाब में एनडीए ने 20 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा कर दिया। लेकिन, विधानसभा चुनाव के डेढ़ साल गुजर जाने के बाद भी रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं कराए गए। समझा जाता है कि पीके इसी को मुद्दा बनाएंगे। क्योंकि जाति और धर्म पर बंटी बिहार की राजनीति में यही एक मुद्दा है, जिस पर समाज के बड़े हिस्से, खास कर युवाओं को आकर्षित किया जा सकता है।

संभव है कि पीके पांच मई को अपने बिहार भ्रमण की तिथियों की घोषणा करें। बेरोजगारी के अलावा महंगाई, भ्रष्टाचार और शिक्षा के सवाल पर वे ग्रामीणों से बातचीत करेंगे। इसके बाद इन समस्याओं के समाधान की कार्य योजना बनाएंगे। उसे लेकर फिर जनता के बीच जाएंगे। अगला लोकसभा चुनाव 2024 और विधानसभा चुनाव 2025 में है। चुनाव की तैयारी और संभावनाओं को टटोलने के लिए उनके पास काफी समय है।

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