रूस-यूक्रेन युद्ध दूसरे साल में प्रवेश कर चुका है. दोनों देश अब भी डटे हुए हैं और कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं. एक अनुमान के अनुसार, इस युद्ध में अब तक लगभग 3 लाख लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग लापता हैं.

नई दिल्‍ली: 

यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग को पूरा एक साल बीत चुका है. अब तक लाखों लोग इस युद्ध की भेंट चढ़ चुके हैं. कई शहर तबाह हो चुके हैं. ये जंग अब भी जारी है और कब तक चलेगी, कुछ कहा नहीं जा सकता है. रूस और यूक्रेन कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है. पूरा विश्‍व किसी न किसी रूप से इस जंग से प्रभावित हो रहा है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रूस से यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने और अपनी सेना को वापस बुलाने की मांग करने वाला गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव बृहस्पतिवार को पारित कर दिया. भारत ने इस प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया. इस प्रस्ताव में “व्यापक, न्यायपूर्ण और स्थायी शांति” तक पहुंचने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है. आइए आपको बताते हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध में अब तक क्‍या-क्‍या हुआ…!

24 फरवरी की तड़के कीव पर शुरू हो गए थे हवाई हमले
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन काफी समय से यूक्रेन में अमेरिका की बढ़ती दखल को लेकर आलोचना कर रहे थे. ऐसे में 23 फरवरी 2022 की आधी रात को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य अभियान की घोषणा कर, पूरे विश्‍व को चौंका दिया था. इसके बुछ घंटों बाद ही 24 फरवरी की तड़के अचानक यूक्रेन की राजधानी कीव और आसपास के शहरों में रूस के हवाई हमले शुरू हो गए थे. रूस के इस हमले से पूरी दुनिया सन्‍न रह गई. यूक्रेन अब तक नाटो देशों की मदद के दम पर इस युद्ध को एक साल तक खींच पाया है.

युद्ध की भेंट चढ़े 3 लाख लोग, 2 लाख जवान-नागरिक लापता
रूस और यूक्रेन किसी ने भी अभी तक ये आधिकारिक आंकड़ा नहीं दिया है, लेकिन अलग-अलग जारी आंकड़ों मुताबिक, बीते एक साल में इस युद्ध की भेंट लगभग 3 लाख लोग चढ़ चुके हैं. नार्वे चीफ ऑफ डिफेंस की रिपोर्ट के अनुसार, इस युद्ध में 22 जनवरी 2023 तक यूक्रेन के तीस हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. एक लाख बीस हजार से ज्यादा यूक्रेनियन जवान अपनी जान गंवा चुके हैं. कुछ रिपोर्ट्स ये दावा करती हैं कि यूक्रेन से ज्यादा रूसी सैनिकों की मौत हुई. इसके अलावा करीब सात हजार से ज्यादा रूस का साथ देने वाले यूक्रेनियन अलगाववादी भी मारे जा चुके हैं. वहीं, दोनों ओर से दो लाख से ज्यादा जवान और नागरिक लापता हैं.

कई यूक्रेन शहर पर रूसी सेना का कब्‍जा, हमले और तेज करने के संकेत
यूक्रेन के मैरियूपोल, दोनेत्स्क, खेरसॉन, लुहांस्क पर रूसी सेना का कब्जा है. कई राज्यों में रूस और यूक्रेन के बीच आक्रामक युद्ध जारी है. नए शहरों पर कब्जा करने के साथ-साथ रूसी सैनिक अपने इलाकों की रक्षा में जुटी यूक्रेनी सेनाओं पर तोप से गोले बरसा रहे हैं. रूस इस वक्त दो तरफ से उत्तर में आइजम और पश्चिम में सेवेरदोनेत्स्क से हमला कर रहा है. रूस ने संकेत दिया था कि वह युद्ध का एक साल पूरा होने पर हमले तेज करेगा. ऐसे में अमेरिका ने भी यूक्रेन को दी जा रही सैन्‍य सहायता में इजाफा करने का ऐलान किया है. ऐसे में रूस-यूक्रेन युद्ध के निकट भविष्‍य में खत्‍म होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं.

अमेरिका दे रहा यूक्रेन को घातक हथियार, 80 देश कर रहे समर्थन
रूसी हमले के विरोध में अमेरिका समेत दुनिया के कई देश यूक्रेन के साथ आ गए हैं. अभी दुनिया के 80 से ज्यादा देशों से यूक्रेन को समर्थन कर रहे हैं. अमेरिका खुलकर यूक्रेन के साथ खड़ा है. हाल ही में अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचकर अपने इरादे साफ कर दिए थे. उन्‍होंने कहा था कि वह अंत तक यूक्रेन के साथ खड़े रहेंगे. अमेरिका समेत 31 देश ऐसे हैं, जो यूक्रेन को घातक हथियार और मिसाइलें दे रहे हैं. ब्रिटेन, फ्रांस समेत कई अन्य देशों के राष्ट्रपति और राष्ट्राध्यक्ष भी यूक्रेन का दौरा कर चुके हैं.

क्‍या भारत का हस्‍तक्षेप करा सकता है रूस-यूक्रेन युद्ध का अंत?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस और यूक्रेन का युद्ध शुरू होने के बाद पुतिन और जेलेंस्‍की दोनों से बात कर चुके हैं. पीएम मोदी ने दोनों देशों को बातचीत के जरिए विवादों को सुलझाने पर बल दिया. हालांकि, जानकार मानते हैं कि भारत का हस्‍तक्षेप रूस-यूक्रेन युद्ध का खत्‍म करने में अहम भूमिका निभा सकता है. हाल ही में ये बात यूरोपीय संघ के राजदूत उगो अस्‍तुतो ने भी दोहराई. उगो अस्तुतो और यूक्रेन के प्रभारी इवान कोनोवलोव ने कहा है कि रूस चाहे तो यह युद्ध को खत्म कर सकता है. इसके लिए उसे यूक्रेन से अपने सैनिकों को वापस बुलाना होगा. उन्होंने कहा कि यूक्रेन में शांति के लिए भारत की भागीदारी काफी महत्वपूर्ण है. भारत ग्लोबाल साउथ लीडर है. रूस और यूक्रेन युद्ध को रोकने में भारत की भूमिका निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण होगी. हम यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की की ओर से घोषित शांति कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भारत को आमंत्रित करना चाहते हैं. वैसे बता दें कि भारत अपनी पुरानी नीति के मुताबिक, अब तक इस युद्ध में तटस्‍थ भूमिका में रहा है.

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