कांकेर. 72 गांव की सुरक्षा देने के लिए 1998 में स्थापित आमाबेड़ा थाना में मारपीट, दहेज, चोरी जैसे अपराध न के बराबर हैं। बताया जा रहा है कि यहां रहने वाले ग्रामीण पुलिस के पास विवाद को सुलझाने के लिए नहीं आना चाहते हैं। जिसके कारण विगत 6 माह में 6 अपराध दर्ज ही हुए हैं। जिसमें तीन नक्सली घटना, एक बलात्कार, एक मारपीट और एक सड़क दुर्घटना का मामला दर्ज किया गया है। वहीं चारामा थाने की एक एफआईआर मार्च माह में ऑनलाइन में अपलोड की गई, उसमें धारा का उल्लेख ही नहीं है।
जिला मुख्यालय से लगभग 32 किमी. की दूरी पर स्थित आमाबेड़ा थाना के अंतर्गत 72 गांव आते है और इस थाने की स्थापना 1998 में हुई थी। 72 गांव होने के बाद भी यहां पर गांव में जमीन विवाद, मारपीट, चोरी, जुआं व सट्टा के अपराध का रिकार्ड न के बराबर है। थाने में गांव के लोग आना भी नहीं चाहते है। 2021 के साल में जनवरी से जून माह तक नजर डालें, तो केवल 6 अपराध दर्ज हुए। यहां तक अप्रैल माह में एक भी अपराध दर्ज नहीं हुआ है। 2021 के जनवरी में मारपीट का मामला आया। फरवरी में बलात्कार, मार्च में एक सड़क दुर्घटना और दूसरा नक्सल घटना में हत्या के प्रयास का मामला है। अप्रैल माह में एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। मई माह में भी एक अपराध नक्सली अपराध और जून माह में भी एक नक्स्ली अपराध दर्ज हुआ है।
आधे से ज्यादा नक्सल प्रभावित गांव
72 गांव में आधे से ज्यादा गांव नक्सल प्रभावित है। यहां पर जैसा विकास होना चाहिए, वैसा हुआ भी नहीं। थाना आमाबेड़ा के अंतर्गत आने वाले गांव में अपराध भी लगभग शून्य है, इसकी वजह स्पष्ट नहीं है। इस वजह पर न तो पुलिस कुछ कह पा रही है और न ही गांव के लोग बताते है।
धारा का नहीं है उल्लेख
छत्तीसगढ़ पुलिस की वेबसाइट में चारामा थाना में एक अपराध क्रमांक 52 उल्लेखित है, जिसमें प्रार्थी का नाम संजीव कुमार नाग है। इसमें क्या धारा लगाई गई है। इसका उल्लेख ही नहीं है। चारामा थाना प्रभारी रवि कुमार साहू का कहना था कि मेरे पास जो एफआईआर है, उसमें धारा का उल्लेख है। उनका कहना कि वेबसाइट में ऐसा कैसे हुआ, नहीं पता।