कई दौर की बैठकों के बाद आख़िरकार मुंबई में एक बड़ी जॉइंट प्रेस कांफ्रेंस में सीटों के बंटवारे का ऐलान हुआ.  समझौते के तहत 21 सीटें शिवसेना (उद्धव ठाकरे), 17 सीटें कांग्रेस और 10 सीटें एनसीपी (शरद पवार गुट) के खाते में गई हैं.

नई दिल्ली: 

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok sabha election 2024) को लेकर महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (Maha Vikas Aghadi) में सीट शेयरिंग की गुत्थी सुलझ गयी है. महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी नेताओं की सीट बंटवारे को लेकर 23 बैठकें मुंबई में हुईं. नाराज कांग्रेस नेता दिल्ली तक आलाकमान से संपर्क कर हल निकालने में जुटे रहे लेकिन साथी दलों ने उम्मीदवार घोषित कर कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया. कई दौर की बैठकों के बाद आख़िरकार मुंबई में एक बड़ी जॉइंट प्रेस कांफ्रेंस में सीटों के बंटवारे का ऐलान हुआ.  समझौते के तहत 21 सीटें शिवसेना (उद्धव ठाकरे), 17 सीटें कांग्रेस और 10 सीटें एनसीपी (शरद पवार गुट) के खाते में गई हैं.

क्या कांग्रेस को मिली है हारने वाली सीटें? 
पिछले 30 वर्षों में उत्तर मुंबई से सिर्फ दो बार कांग्रेस जीती है. चूंकि शिवसेना-भाजपा के 30 साल पुराने गठबंधन में ये सीट कभी शिवसेना के पास रही ही नहीं, इसलिए यहां उसका कोई जनाधार भी नहीं है. हां, कुछ विधानसभा सीटें जरूर उसके पास हैं.   इस बार लोकसभा के लिए भाजपा ने केंद्रीय मंत्री पीयुष गोयल के रूप में एक मजबूत उम्मीदवार ही उतारा है. उनके सामने उद्धव गुट शिवसेना कोई ठोस उम्मीदवार दे पाने की स्थिति में नहीं. इसलिए, उद्धव ठाकरे चाहते हैं कि वहां से कांग्रेस चुनाव लड़ ले. यानी हारने वाली सीट ही कांग्रेस को खैरात स्वरूप दे दी गई है.

सीट बंटवारे से नाराज हैं कांग्रेस के कई नेता
सीट बंटवारे के ऐलान से कई नेता नाराज बताए जा रहे हैं.  इसमें मुंबई कांग्रेस की अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ भी शामिल हैं. वहीं, सांगली सीट से टिकट मांग रहे विशाल पाटिल नॉट रीचबल बताये जा रहे हैं. मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ MVA की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी नहीं आईं. वर्षा के दिवगंत पिता एकनाथ गायकवाड़ के मुंबई दक्षिण मध्य सीट से वो लड़ना चाहती थीं, लेकिन ये सीट उद्धव गुट को दी गई है और अनिल देसाई उम्मीदवार हैं.

नाना पटोले ने कार्यकर्ताओं से एकजुट होने का किया आह्वान
“सब ऊपर से तय हुआ है. मोदी और भाजपा को हराने के अंतिम लक्ष्य को हासिल करने के लिए बड़ा दिल रखने का फैसला किया है. कांग्रेस कार्यकर्ता बीजेपी के खिलाफ लड़ेंगे और सांगली – भिवंडी में एमवीए उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करेंगे. हमारे कार्यकर्ता कभी नहीं भूलेंगे कि बीजेपी ने हमारे नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ कैसा दुर्व्यवहार किया.”

कांग्रेस ने क्यों किया समझौता? 
राजनीति के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस गठबंधन को मजबूत करने के लिए टूटी हुई शिवसेना और टूटी हुई एनसीपी के सामने झुकी है. इस फैसले में केंद्रीय नेतृत्व की भूमिका रही है. कांग्रेस ने अपनी परंपरागत सीटों पर भी समझौता किया है. गौरतलब है कि राज्य की 48 सीटों पर 19 अप्रैल से 20 मई के बीच पांच चरणों में लोकसभा चुनाव होंगे. दक्षिण मध्य मुंबई,सांगली,उत्तर पश्चिम सीट कांग्रेस चाहती थी.  भिवंडी सीट NCP-कांग्रेस के बीच नाराजगी की वजह बनी थी. हालांकि इंडिया गठबंधन की तरफ से दावा किया जा रहा है कि अब तमाम विवादों को सुलझा लिया गया है.

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