भारत की सफलता का श्रेय संघर्षग्रस्त मणिपुर को जाता है, क्योंकि खेलने वाले 23 लड़कों में से 16 उत्तर-पूर्वी राज्य से हैं. 16 में से 11 मैतेई समुदाय से हैं और चार कुकी समुदाय से हैं.

नई दिल्ली: 

मई की शुरुआत से मणिपुर में हुई जातीय हिंसा में लगभग 200 लोग मारे गए हैं, सैकड़ों घायल या अपंग हो गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं. राज्य में कई महीनों से खून-खराबा हो रहा है क्योंकि मैतेई और कुकी जनजातियां एक-दूसरे पर भयानक हमला कर रही हैं. न तो राज्य और न ही केंद्र सरकार अशांत उत्तर-पूर्वी राज्य में शांति लाने में अब तक सफल हो पाईं हैं. इसी बीच दो किशोर लड़के मणिपुर और भारत को एकजुट करने में सफल हो सकते हैं. मैतेई किशोर भरत लैरेंजम और कुकी किशोर लेविस जांगमिनलुन ने घरेलू शत्रुता को भुलाकर दक्षिण एशियाई फुटबॉल फेडरेशन चैंपियनशिप में भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई. भरत और लेविस ने देश के लिए विजयी गोल किए. इसी की बदौलत भारत ने भूटान के थिम्पू में बांग्लादेश को 2-0 से हराया और रिकॉर्ड पांचवीं बार SAFF अंडर-16 खिताब जीता.

वास्तव में, भारत की सफलता का श्रेय संघर्षग्रस्त मणिपुर को जाता है, क्योंकि खेलने वाले 23 लड़कों में से 16 उत्तर-पूर्वी राज्य से हैं. 16 में से 11 मैतेई समुदाय से हैं और चार कुकी समुदाय से हैं. वयस्कों को गंभीर सीख देते हुए उन्होंने अपने राज्य में शांति लौटने के लिए प्रार्थना की है. उत्साहित भरत ने कहा कि वह गोल करके बहुत खुश हैं (उन्होंने शुरुआती गोल सिर्फ नौ मिनट बाद किया) और इसे अपना “चैंपियनशिप का गोल” बताया. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “हालांकि टीम में खिलाड़ी अलग-अलग समुदायों से हैं, हम अच्छी टीम भावना के साथ खुशी-खुशी एक साथ मिलते हैं. मेरे टीम साथी, मिडफील्डर लेविस ने मैच से पहले मुझसे कहा था कि मुझे मैच जीतने के लिए स्कोर करना चाहिए… और उसका गोल भारत के लिए खिताब जीतने में महत्वपूर्ण था. मैं उसके पास गया और उसे कसकर गले लगाया!” मणिपुर संकट पर भरत ने कहा कि हमने सामान्य स्थिति के लिए प्रार्थना की…अच्छे पुराने दिनों के लिए”.

लेविस ने संवाददाताओं से कहा कि जब वह फाइनल के लिए बाहर निकले तो उन्हें घबराहट महसूस हुई. हैदराबाद के एक क्लब के लिए खेलने वाले युवा लड़के ने कहा, “हालांकि, जब मैंने दूसरा गोल किया तो मेरा आत्मविश्वास बढ़ गया. फुटबॉल हमारे जुनून के रूप में काम करता है… हमें एकजुट करता है और मतभेदों को दूर करने की अनुमति देता है.”

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