बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था, ‘हम महिलाओं को देवी मानते हैं, लेकिन लड़कियां ऐसे अश्लील कपड़े पहनती हैं, जिसमें वे ‘सूर्पणखा’ (लंका नरेश रावण की बहन) की तरह दिखती हैं.’

इंदौर: 

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने हाल ही में महिलाओं के पहनावे पर ऐसा बयान दिया, जिसकी चर्चा चारों ओर हो रही है. अब मध्य प्रदेश की संस्कृति और पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर भी बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की टिप्पणी के समर्थन में उतर आई हैं. उषा ठाकुर ने शनिवार को कहा, “यदि कोई वैदिक सनातन परंपरा का पालन नहीं करता है, तो वह व्यक्ति राक्षस प्रवृत्ति (राक्षसों के लक्षण) वाला कहा जाएगा.”

बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था, ‘हम महिलाओं को देवी मानते हैं, लेकिन लड़कियां ऐसे अश्लील कपड़े पहनती हैं, जिसमें वे ‘सूर्पणखा’ (लंका नरेश रावण की बहन) की तरह दिखती हैं.’ साथ ही उन्होंने युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर नाराजगी भी व्यक्त की थी. इसी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए महिला कांग्रेस अध्यक्ष विभा पटेल ने कहा, ”बीजेपी सत्ता के घमंड में चूर होकर मर्यादा भूल रही है. उसकी बातों पर ध्यान दो.”

महिला कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “विजयवर्गीय किस युग में जी रहे हैं, आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, इसलिए उन्हें अपनी मर्जी से कपड़े पहनने, खाने-पीने का पूरा अधिकार है. अगर महिलाएं अपनी आजादी का इस्तेमाल कर रही हैं, तो निश्चित रूप से इसमें मर्यादा होनी चाहिए.” लेकिन नेताओं को कोई भी टिप्पणी करने से पहले अपनी मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए.’

बीजेपी प्रवक्ता नेहा बग्गा ने कहा, ‘विजयवर्गीय के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है. उनकी मंशा एक अभिभावक की है. चिंता इस बात की है कि उन्होंने अपनी बात समाज के सामने रखी. उनका विषय लड़कियों पर था जो कैलाश जी ने एक अभिभावक के रूप में बच्चियों को यह समझाने की कोशिश की है कि समाज में खुद की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमें खुद लेनी होगी.’

इसी के साथ उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा, ”कांग्रेस ही वह पार्टी है जिसके बड़े नेता रेप जैसी घटनाओं पर कहते हैं कि विरोध नहीं कर सकते तो मजा लेना चाहिए. अपनी ही पार्टी और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी महिला होकर भी चुप रहती हैं इसलिए बेहतर होगा कि कांग्रेस इस मामले में सलाह न दे.’

बीजेपी प्रवक्ता नेहा बग्गा बग्गा ने कहा, “कैलाश विजयवर्गीय ने जो कहा है वह समाज की चिंता है और माता-पिता की चिंता है. कभी-कभी इस तरह की भाषा का इस्तेमाल बच्चों को समझाने के लिए किया जाता है और मुझे लगता है कि वीडियो उनकी भावनाओं को समझें.”

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