मध्य प्रदेश में पब्लिक या गवर्नमेंट प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने वालों की खैर नहीं। सरकार ने इसको लेकर कानून लागू कर दिया है। इसके संबंध में राजपत्र भी प्रकाशित कर दिया गया है। इस कानून के लागू होने के बाद अगर किसी प्रोटेस्ट के दौरान किसी निजी या सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचता है तो ऐसा करने वाले से ही वसूली की जाएगी। ट्रिब्यूनल के किसी भी आदेश के खिलाफ अपील हाईकोर्ट में की जा सकेगी। लेकिन इसके लिए 90 दिन की समयसीमा रखी गई है।

गौरतलब है कि खरगोन में 10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस के दौरान हुई हिंसा के संबंध में क्लेम ट्रिब्यूनल स्थापित किया गया था। शिवराज सिंह चौहान सरकार ने खरगोन हिंसा में शामिल लोगों से नुकसान की वसूली के लिए सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश डॉ शिवकुमार मिश्रा की अध्यक्षता और सेवानिवृत्त सचिव प्रभात पाराशर के सदस्यता वाले दो सदस्यीय ट्रिब्यूनल का गठन किया था। मध्य प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति के नुकसान की वसूली कानून के तहत नियमों की राजपत्र अधिसूचना के अनुसार, कार्यवाही के किसी भी चरण में किसी भी पक्षकार की मृत्यु की दशा में मुआवजे का दावा समाप्त नहीं होगा। उसकी संपत्ति से वसूली की जा सकेगी।

ऐसे काम करेगा ट्रिब्यूनल
नियमों के अनुसार प्रदेश सरकार तीन अधिकारियों की एक समिति भेजेगी। ट्रिब्यूनल अध्यक्ष सहायता के लिए समिति में से दावा आयुक्त (क्लेम कमिश्नर) नियुक्त कर सकते हैं। अधिसूचना में बताया गया है कि ट्रिब्यूनल के कामकाज की भाषा हिंदी होगी। यह ऑन कैमरा सुनवाई के बारे में निर्णय ले सकता है, जिसमें गवाह शपथ के तहत सबूत देंगे। इस कानून के तहत विरोध प्रदर्शन और दंगों के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार लोगों और संगठनों से नुकसान की वसूली की जा सकेगी। इसे पिछले साल दिसंबर में मध्य प्रदेश विधानसभा द्वारा पारित किया गया था।

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