कंपनियों के तिमाही नतीजे बेहतर रहने तथा वृहद बुनियाद मजबूत होने के बीच विदेशी निवेशकों ने अगस्त में शुद्ध रूप से 49,254 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने अगस्त में भारतीय शेयर बाजारों में जबर्दस्त निवेश किया है। पिछले महीने लंबे अंतराल के बाद एफपीआई शुद्ध लिवाल बने थे। कंपनियों के तिमाही नतीजे बेहतर रहने तथा वृहद बुनियाद मजबूत होने के बीच विदेशी निवेशकों ने अगस्त में शुद्ध रूप से 49,254 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। यह जुलाई में एफपीआई द्वारा किए गए 5,000 करोड़ रुपये के निवेश से कहीं ऊंचा आंकड़ा है।

पिछले नौ महीने से कर रहे थे शेयरों की बिक्री
लगातार नौ माह तक बिकवाल रहने के बाद जुलाई में एफपीआई पहली बार शुद्ध लिवाल बने थे। उनकी बिकवाली का सिलसिला पिछले साल अक्टूबर से शुरू होकर इस साल जून तक चला। इस दौरान उन्होंने 2.46 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे। वित्तीय प्रौद्योगिकी मंच गोलटेलर के संस्थापक सदस्य विवेक बंका ने कहा कि आगामी महीनों में एफपीआई का रुझान काफी हद तक जिंस कीमतों, भू-राजनीतिक घटनाक्रमों, कंपनियों के तिमाही नतीजों और फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों पर रुख से तय होगा।

क्या कहा एक्सपर्ट ने?
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकर वी के विजयकुमार ने कहा कि फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पावेल ने जैक्सन होल में अत्यधिक आक्रामक रुख का संकेत दिया है। इससे लघु अवधि में भारतीय बाजारों में एफपीआई का प्रवाह प्रभावित हो सकता है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने एक से 26 अगस्त के दौरान भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 49,254 करोड़ रुपये डाले हैं। यह चालू साल में उनके द्वारा किया गया सबसे ऊंचा निवेश है। ‘धन’ के संस्थापक जय प्रकाश गुप्ता ने कहा कि वैश्विक स्तर पर मंदी की आशंका तथा कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के बावजूद कंपनियों के तिमाही नतीजे बेहतर रहे हैं। यह एक मुख्य वजह है कि एफपीआई ने भारतीय बाजार में जमकर लिवाली की है।

कोटक सिक्योरिटीज के प्रमुख इक्विटी शोध (खुदरा) श्रीकांत चौहान का भी मानना है कि कंपनियों के तिमाही नतीजे बेहतर रहने की वजह से एफपीआई का भारतीय बाजारों में प्रवाह बढ़ा है। मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि महंगाई अब भी ऊंचे स्तर पर है लेकिन हाल के समय में इसमें वृद्धि उम्मीद से कम रही है, जिसके चलते धारणा सुधरी है। ऐसे में यह संभावना बनी है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक कम आक्रामक रुख अख्तियार करेगा। यह एक प्रमुख वजह है कि एफपीआई की भारतीय बाजारों में लिवाली बढ़ी है। समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार में भी शुद्ध रूप से 4,370 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

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