बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के कई शहरों में चल रहे कल कारखाने मानव जीवन के लिए जहर उगल रहे हैं. फैक्टरियों से निकलने वाला धुआं न केवल इंसान को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इससे पेड़ पौधे और जीव जंतु भी प्रभावित हो रहे हैं. फैक्टरियों पर कार्रवाई करने में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी नकारा साबित हो रहा है. इस पर अब हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है. धुएं से होने वाले वायु प्रदूष्ण को लेकर दायर जनहित याचिका में हाईकोर्ट ने सुनवाई की. साथ ही शासन से विधिवत जवाब मांगा है.
धुआं नहीं, जहर उगल रही फैक्टरियां !
दरअसल, जल संसाधन विभाग के रिटायर्ड ईएनसी आरएन गुप्ता ने प्रदेश के उद्योगों से निकलने वाले स्मोक डस्ट और बुरी तरह फ़ैल रहे प्रदूषण को लेकर एक जनहित याचिका दायर की है. याचिका में इन्होने बताया है कि इंडस्ट्रियल इलाकों में बड़ी संख्या में बड़े-बड़े प्लांट चल रहे हैं, जिनसे रोजाना बड़ी तादाद में स्मोक डस्ट निकलती है. इसके अलावा धुआं भी निकलता है, जिससे भारी वायु प्रदूषण होता है. लोगों को बड़ी गंभीर बीमारी भी हो रही है.
धुआं से प्रदूषण पर सरकार से नहीं आया जवाब
उद्योगों के पास इससे बचने के सारे इंतजाम हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. इससे पहले कोर्ट ने शासन से जवाब मांगा था. आज शुक्रवार को शासन की ओर से प्रदूषण पर कोई जवाब नहीं आया. आज चीफ जस्टिस की डीविजन बेंच में सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि आप सभी उद्योगों को भी पक्षकार बना लें.
इस पर मामले की स्वयं पैरवी करते हुए याचिकाकर्ता गुप्ता ने कहा कि सभी बातों के लिए नियम कानून बने हुए हैं. इनका विधिवत पालन कराना सरकार कि जवाबदारी है. इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इस तर्क के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन को विस्तृत जवाब देने समय प्रदान किया है. अब इस मामले में 16 अगस्त को सुनवाई होगी.
धुआं स्वास्थ्य के लिए होता है हानिकारक
- निकलते कण से आंखें होती हैं प्रभावित
- किडनी संबंधित बीमारी होने का रहता है डर
- सांस लेने के चलते अस्थमा होने की होती है संभावना
- संक्रमित बीमारियां फैलती हैं
- कण के त्वचा के संपर्क में आने पर होती है एलर्जी की समस्या