लोकसभा चुनाव 2024 : महाराष्ट्र में सत्ता पक्ष एनडीए ने 48 में से 39 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए, नौ सीटों पर स्थिति अब तक साफ नहीं, इंडिया गठबंधन में समझौते के कारण कुछ सीटों को लेकर कांग्रेस में नाराजगी
मुंबई:
Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन ने सीटों का फार्मूला तय कर लिया लेकिन कांग्रेस में विरोध के सुर उठने शुरू हो गए हैं. इधर सत्ताधारी महायुति गठबंधन ने अब तक नौ सीटों पर उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं, हालांकि प्रचार का नारियल फोड़ दिया गया है.
महाराष्ट्र में चढ़ते पारे के साथ-साथ सियासी तापमान भी चरम पर है. राज्य की 48 लोकसभा सीटों के लिए सत्ताधारी महायुति में सीटों पर उम्मीदवारी को लेकर माथापच्ची जारी है, जबकि चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ लिया है.
उत्तर मुंबई लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस को कोई उम्मीदवार नहीं मिल रहा है जबकि बीजेपी के उम्मीदवार पीयूष गोयल ने अपने चुनाव प्रचार कार्यालय में नारियल भी फोड़ दिया है. इस मौके पर खास तौर पर उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और पार्टी के मुंबई के अध्यक्ष आशीष शेलार साथ रहे.
बताया जाता है कि चुनाव प्रचार जारी है, पर सीटों पर बात अटकी है. जिन सीटों पर बात अटकी है उन पर सवाल टालते हुए बीजेपी के नेता मजबूत और तय सीटों को लेकर ही बोल रहे हैं.
बीजेपी की मुंबई इकाई के अध्यक्ष आशीष शेलार ने कहा कि, “जिस तरह UBT (शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट यहां से भाग गया है इससे लगता है कि एक तरह से पीयूष गोयल को वॉकओवर मिल गया है. अगर टुकड़े-टुकड़े गैंग का कोई उम्मीदवार आता है तो हम उसका भी डटकर मुकाबला करेंगे.”
लोकसभा चुनावों के आगाज में अब सिर्फ 10 दिनों का ही वक्त बाकी रह गया है, लेकिन 48 लोकसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में सीटों की माथापच्ची खत्म नहीं हो रही है. विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी ने तो अपना फार्मूला मंगलवार को साफ कर दिया लेकिन सत्ताधारी महायुति अब तक बैठकों में ही अटकी है.
अब तक बीजेपी ने 24 उम्मीदवार घोषित किए हैं. शिवसेना- शिंदे गुट ने 10, अजित पवार की एनसीपी (NCP) ने 5 प्रत्याशी घोषित किए हैं. एनडीए (NDA) के कुल 39 उम्मीदवार घोषित हो चुके हैं. बाकी बची 9 सीटों पर उम्मीदवारों का घोषणा बाकी है.
महायुति में सतारा, नासिक, औरंगाबाद, ठाणे, पालघर, रत्नागिरी-सिंदुदुर्ग, दक्षिण मुंबई और उत्तर पश्चिम मुंबई विवादित सीटें बताई जा रही हैं. सूत्रों के अनुसार, ‘शिंदे सेना’ पर अधिक सीटों पर समझौता करने का दबाव है.
बीजेपी के दबाव में शिवसेना के कुछ मौजूदा सांसदों ने अपना दल बदल लिया, जिससे असंतोष पैदा होने की खबर है. रत्नागिरी-सिंदुदुर्ग सीट पर बीजेपी और शिवसेना, नासिक सीट पर शिवसेना और एनसीपी अजित गुट में पेंच अभी भी फंसा हुआ है. यहां उम्मीदवार घोषित होना अभी बाकी है.
महायुति के नेता कह रहे हैं कि गठबंधन में ऐसी दिक्कतें आम हैं. एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि, “आज मोदी जी के ‘400 पार’ के साथ लोकसभा चुनाव है, तो महाराष्ट्र चुनाव में भी हमें 200 सीटें पार करनी हैं. गठबंधन में हमेशा कुछ चुनौतियां होती हैं, लेकिन फिर भी गठबंधन होते हैं.”
दूसरी तरफ बीजेपी कह रही है कि पेंच नहीं फंसा, सब रणनीति का हिस्सा है. बीजेपी नेता राम कदम ने कहा कि, रणनीति का हिस्सा है, समय पर सब सामने आएगा.
उधर महाविकास अघाड़ी में सीटों के गणित तो सुलझा लिए गए लेकिन शायद सिर्फ कैमरे के लिए. पहली नजर में महाविकास अघाड़ी के लिए सीटों का यह बंटवारा संतोषजनक दिखता है, लेकिन इसका विश्लेषण करें तो पता चलता है कि उद्धव ठाकरे के सामने कांग्रेस ने करीब-करीब आत्मसमर्पण कर दिया है. सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में इसको लेकर अंदरूनी हलचल तेज होने की खबर है.
कांग्रेस की मुंबई से लेकर सांगली तक में बैठकों का ऐलान हुआ. मुंबई की बैठक रद्द हुई और सांगली की मीटिंग में तय हुआ कि नेतृत्व फैसले पर पुनर्विचार करे. कांग्रेस की मुंबई इकाई की अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ दक्षिण मध्य मुंबई की सीट को लेकर नाराज बताई जा रही हैं. जानकारी सामने आ रही है कि वर्षा गायकवाड़ ने केसी वेणुगोपाल को फोन करके शिकायत की है. बुधवार को दोपहर में उन्होंने कांग्रेस के सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की विशेष बैठक भी बुलाई थी, हालांकि यह बैठक रद्द कर दी गई.
दरअसल कांग्रेस ने इस बंटवारे में अपनी कई मजबूत सीटें भी गंवा दी हैं. इनमें से एक सांगली है. पार्टी के भीतर भारी विरोध के बावजूद कांग्रेस ने यह सीट शिवसेना उद्धव गुट को दे दी है. ऐसे में सांगली में इस सीट के लिए इच्छुक कांग्रेस नेता विशाल पाटिल और उनके समर्थक बेहद नाराज हैं. इसको लेकर उन्होंने बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की और नेतृत्व से फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा. कांग्रेस विधायक विश्वजीत कदम ने कहा कि, “महा विकास अघाड़ी के घटक दलों को सांगली की सीट पर एक बार पुनर्विचार करना चाहिए.“
एक तरफ विपक्षी गठबंधन में सीटों का बंटवारा फायनल होने के बाद सत्ता पक्ष पर दबाव है, तो दूसरी ओर सीटों पर फार्मूला साफ होने के बावजूद विपक्षी गठबंधन में शांति नहीं है. इस सबका असर चुनाव प्रचार को किस तरह प्रभावित करेगा, यह देखना होगा.