रायपुर. नगरीय क्षेत्रों में अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन, शासकीय भूमि के आवंटन के मामले में राज्य सरकार ने जिला कलेक्टरों को ये विशेष अधिकार दिया है कि वे 7500 वर्गफुट तक शासकीय जमीन की नीलामी करा सकते हैं। खास बात ये है कि इतने रकबे के लिए उन्हें शासन से अनुमति लेनी की जरूरत नहीं होगी। सरकार के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने यह आदेश जारी किया है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने इस पूरे मामले को लेकर प्रदेश के सभी संभागीय आयुक्तों व सभी कलेक्टरों को पत्र जारी कर दिया है। इसी सिलसिले में यह भी तय किया गया है कि शासकीय भूमि के आंवटन, अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन आवेदनों का परीक्षण करने जिला स्तर पर गठित समिति में पंजीयक को भी शामिल किया जाए, जिससे आवंटित व्यवस्थापित भूमि के मूल्य का सही निर्धारण हो सके।

7500 वर्गफुट से अधिक के लिए सरकार की अनुमति आवश्यक

यह भी स्पष्ट किया गया है कि 7500 वर्गफुट से अधिक जमीन के प्रकरण संभागीय आयुक्त के माध्यम से राज्य शासन को मूल प्रस्ताव दो प्रतियों में उपलब्ध कराए जाएं। इसका मतलब ये है कि कलेक्टर केवल 7500 वर्गफुट जमीन की ही नीलामी करा सकेंगे। इससे अधिक भूमि होने पर नीलामी के पहले राज्य शासन से अनुमति लेना आवश्यक होगा।

इन मामलों में लेनी होगी स्वीकृति

राजस्व ए‌वं आपदा प्रबंधन विभाग ने ये भी स्पष्ट किया है कि 7500 वर्गफुट तक जमीन नीलामी के किस तरह के मामलों में सरकार से अनुमित लेना कलेक्टर के लिए आवश्यक होगा। अगर कोई जमीन आवेदक की भूमि से लगी हुई हो तथा आवेदक के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति के लिए किसी उपयोग की न हो। जब किसी अतिक्रामक के अतिक्रमण को माफ करने का तथा अतिक्रामक को अतिक्रमित क्षेत्र स्थायी पट्टे पर देने का निर्णय लिया गया हो। किसी जमीन का उपयोग धार्मिक, शैक्षिक, सहकारी, सार्वजनिक या सामाजिक प्रायोजनों के लिए किया जाए। जब भूखंड अत्यंत गरीब व्यक्तियों को किसी ऐसी बस्ती में दिए गए हों, जहां केवल गरीब रहते हैं, ऐसी कोई अन्य भूमि, जिसकी नीलामी न करने के पर्याप्त कारण हों, जैसे विद्युत मंडल की जमीन, राज्य परिवहन निगम आदि द्वारा अपेक्षित भूमि एवं जब भूमि को सैप्टिक टैंक बनाने के लिए किया जाना हो और ऐसे उपयोग से किसी अन्य को असुविधा न हो।

शहरी क्षेत्र में लागू होगा बाजार मूल्य

इस पत्र में राजस्व ए‌वं आपदा प्रबंधन विभाग ने ये भी साफ किया है कि प्रत्येक नगरीय निकाय के संबंध में वार्डवार बाजार मूल्य (स्लैब दरें) विकसित तथा अविकसित प्लाट के संबंध में क्षेत्रफलवार निर्धारित है, जिसके आधार पर छत्तीसगढ़ राजस्व पुस्तक परिपत्र खंड चार -1 की कंडिका 21 के प्रावधानों के तहत मूल प्रब्याजी को आफसेट मूल्य माना जाकर नियमानुसार नीलामी की कार्यवाही पारदर्शी ढंग से पूरी करके अधिक बोलीकर्ता को आवंटित की जाए।

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