इस तरह की पहली दो सूचियां 2018 और 2021 में जारी की गई थीं. चीन ने पहले छह नामों की सूची जारी की थी, जबकि 2021 में उसने अरुणाचल प्रदेश में 15 स्थानों का ‘नाम बदला’ था.

गुवाहाटी: 

चीन ने अरुणाचल प्रदेश पर अपने दावे को फिर मज़बूत करने की कोशिशों के तहत राज्य में 11 स्थानों के लिए नए नामों का सेट जारी किया है. यह तीसरा मौका है, जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का ‘नाम बदला’ है. चीन अरुणाचल प्रदेश को ‘तिब्बत का दक्षिणी भाग ज़ंगनान’ कहता है. चीन के गृह मंत्रालय ने सोमवार को चीनी, तिब्बती और पिनयिन अक्षरों में नामों का सेट जारी किया, जो चीन के मंत्रिमंडल की राज्य परिषद द्वारा नियमानुसार जारी किए गए भौगोलिक नामों पर आधारित था.

इस तरह की पहली दो सूचियां 2018 और 2021 में जारी की गई थीं. चीन ने पहले छह नामों की सूची जारी की थी, जबकि 2021 में उसने अरुणाचल प्रदेश में 15 स्थानों का ‘नाम बदला’ था. नई दिल्ली ने दोनों मौकों पर चीन के दावों को मजबूती से खारिज कर दिया था. चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने के संबंध में मीडिया के सवालों के जवाब में, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “हमने इस तरह की रिपोर्ट देखी है. यह पहली बार नहीं है जब चीन ने इस तरह का प्रयास किया है. हम इसे सिरे से खारिज करते हैं.”अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है, और रहेगा. ऐसे प्रयास से वास्तविकता नहीं बदलेगी.

द ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, जो चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेली समूह के प्रकाशनों का हिस्सा है, चीनी अधिकारी इस कदम को ‘मानकीकृत भौगोलिक नाम’ कह रहे हैं. दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा के बाद 2017 में चीन द्वारा नामों के पहले सेट की घोषणा की गई थी. चीन तिब्बती आध्यात्मिक नेता की यात्रा की तीव्र आलोचना कर रहा था. दलाई लामा अरुणाचल प्रदेश के तवांग के रास्ते तिब्बत से भाग गए और 1959 में हिमालय क्षेत्र पर चीन के सैन्य नियंत्रण के बाद 1959 में भारत में शरण ली.

पूर्वी लद्दाख में एक महीने से चल रहे सीमा गतिरोध के बीच पिछले दिसंबर में राज्य के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीनी सैनिकों के बीच आमना-सामना हुआ था. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तब चीन पर एलएसी के साथ यथास्थिति को “एकतरफा” बदलने की कोशिश करने का आरोप लगाया था.

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