नई दिल्‍ली: असम, नगालैंड और मणिपुर में आर्म्‍ड फोर्सेज स्‍पेशल पावर्स ऐक्‍ट (AFSPA) के तहत आने वाला इलाका घटा दिया गया है। दशकों बाद भारत सरकार ने पूर्वोत्‍तर में ‘अशांत क्षेत्र’ का दायरा कम किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार दोपहर स‍िलसिलेवार ट्वीट्स में इस फैसले की जानकारी दी। उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रेय देते हुए कहा कि यह कदम नॉर्थ ईस्ट में सुरक्षा की दृष्टि से बेहतर होती स्थिति और तेजी से विकास का नतीजा है। शाह ने पूर्वोत्‍तर के लोगों को बधाई देते हुए कहा कि दशकों तक भारत का यह हिस्‍सा नजरअंदाज किया गया मगर मोदी सरकार का फोकस इसी पर है।

एक दिन पहले ही, असम और मेघालय के बीच 50 साल पुराना सीमा विवाद सुलझने की दिशा में कदम बढ़े। असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में समझौते पर दस्तखत किए। दोनों राज्य 885 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। इनके बीच 12 जगहों को लेकर सीमा विवाद था।

AFSPA क्‍या है?
AFSPA को साल 1958 में संसद ने पारित किया था। इसका पूरा नाम The Armed Forces (Special Powers) Act, 1958 (AFSPA) है। 11 सितंबर, 1958 को अफ्सपा लागू हुआ था। शुरू में यह पूर्वोत्तर और पंजाब के उन क्षेत्रों में लगाया गया था, जिनको ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित कर दिया गया था। इनमें से ज्यादातर ‘अशांत क्षेत्र’ की सीमाएं पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश और म्यांमार से सटी थीं। सितंबर 2017 तक मेघालय के करीब 40 फीसदी हिस्से में अफ्सपा लागू था। बाद में गृह मंत्रालय की समीक्षा के बाद राज्य सरकार ने मेघालय से अफ्सपा को पूरी तरह वापस लेने का फैसला किया।

फोर्सेज को क्‍या अधिकार होते हैं?
AFSPA के जरिए सुरक्षा बलों को कई खास अधिकार दिए हैं। केंद्र या राज्‍यपाल पूरे राज्‍य या उसके किसी हिस्‍से में AFSPA लागू कर सकते हैं। इसके तहत आर्म्‍ड फोर्सेज को कानून के खिलाफ जाने वालों या हथियार, गोला-बारूद ले जा रहे व्‍यक्ति पर गोली चलाने का अधिकार है। बिना वारंट के गिरफ्तारी का अधिकार भी AFSPA में मिलता है। बिना वारंट के सर्च भी कर सकते हैं। सुरक्षा बलों पर इसके लिए किसी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती है। अफ्सपा के तहत किसी तरह की कार्रवाई करने पर सैनिकों के खिलाफ न मुकदमा चलाया जा सकता है औ न किसी तरह की कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।

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