अंतरिक्ष को लेकर मानव सभ्यता की उत्सुकता सदा बरकरार रही है। जीवन की तलाश करने के लिए नासा ने अब तक कई मिशन्स अंतरिक्ष में भेजे हैं। कई बड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें कहीं दूर एलियन लाइफ को ढूंढने की जरूरत नहीं है। शायद हमारे सौर मंडल में ही जीवन मौजूद हो सकता है। वैज्ञानिकों की मानें तो बृहस्पति ग्रह के चांद यूरोपा पर जीवन के सबूत मिलने की बहुत बड़ी संभावना है। ऐसे में नासा कई बड़े मिशन्स बृहस्पति ग्रह के इस चांद पर भेजने की तैयारी में जुट गया है। अगर भविष्य में यूरोपा पर जीवन के सबूत मिलते हैं तो ये मानव सभ्यता के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धी होगी। पिछले कई सालों से नासा के वैज्ञानिक जुपिटर के इस मून पर शोध कर रहे हैं। शोध से जो आंकड़े सामने आए हैं, वह वाकई चौकाने वाले हैं। इन आंकड़ों को देखने के बाद कई खगोलविद इस बात पर एकमत हैं कि यूरोपा पर जीवन मौजूद हो सकता है। इसी कड़ी में आइए जानते हैं जुपिटर के इस मून के बारे में –
यूरोपा पर ठोस बर्फ की सतह के नीचे बड़ी मात्रा में पानी का महासागर है। बृहस्पति और अन्य चंद्रमाओं के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के कारण यूरोपा का आंतरिक भाग गर्म रहता है। इस कारण बर्फ के नीचे का पानी तरल अवस्था में बना रहता है। हालांकि वैज्ञानिकों को अब तक इस बात का पता नहीं चल पाया है कि सतह की ठोस बर्फ की परत कितनी मोटी है?
बृहस्पति ग्रह की परिक्रमा करते हुए गैलीलियो अंतरिक्ष यान ने यूरोपा से जुड़ी कई अहम जानकारी हमको दी है। हम सभी को पता है कि जीवन के उद्भव में जल का अहम योगदान रहता है। ऐसे में कई बड़े वैज्ञानिकों कहना है कि यूरोपा की ठोस बर्फ के नीचे मौजूद पानी में शायद कोई जीवन पनप रहा होगा, जिसकी खोज की जानी अभी बाकी है।
हालांकि अभी तक इस बात के कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं कि यूरोपा पर जीवन है। वैज्ञानिकों को जो जानकारी गैलीलियो अंतरिक्ष यान से यूरोपा के विषय में मिली है, उसके आधार पर ये संभावना जताई जा रही है कि यूरोपा के बर्फ के नीजे मौजूद तरल पानी के भीतर जीवन मौजूद हो सकता है।
यूरोपा पर जीवन की तलाश को लेकर नासा काफी उत्सुक दिख रहा है। इसी सिलसिले में वह साल 2024 में अपना क्लिपर मिशन यूरोपा पर भेजने की तैयारी में है। इस मिशन का मकसद वहां पर जीवन की संभावनाओं को तलाशना होगा। बृहस्पति ग्रह की परिक्रमा करते हुए क्लिपर यान यूरोपा के पास से करीब 40 से 50 बार गुजरेगा। इस बीच यान यूरोपा की कई डीटेल्ड तस्वीरें खींचकर उसे पृथ्वी पर भेजेगा, जिनका वैज्ञानिक बारीकी से अध्ययन करेंगे।