स्वास्थ्य विभाग के 350 करोड़ से ज्यादा के रीएजेंट घोटाले में नया खुलासा हुआ है। मोक्षित कंपनी ने रीएजेंट के साथ खून जांचने वाली मशीन भी सरकारी अस्पतालों में सप्लाई की है। उन मशीनों के मेंटेनेंस के दौरान कंपनी के तकनीशियनों ने छेड़खानी करते हुए कोडिंग लॉक लगा दिया, ताकि किसी दूसरी कंपनी के तकनीशियन उसमें रीएजेंट डालने के लिए खोल न सकें और सरकार उन्हीं की कंपनी का रीएजेंट खरीदे। स्वास्थ्य विभाग की ताजा रिपोर्ट में पर्दे के पीछे चल रही ये गड़बड़ी भी सामने आ गई है। इस बीच ईओडब्ल्यू-एसीबी ने मोक्षित कार्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट में पेश किया। वहां से 7 दिन की रिमांड पर लिया है। रीएजेंट घोटाले में 2022-23 में स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ आईएएस अफसरों के नाम सामने आ रहे हैं। उन पर करोड़ों के रीएजेंट की एक महीने में दो किस्तों में खरीदी में मोटा कमीशन लेने का आरोप है। ईओडब्ल्यू पड़ताल कर रही है कि किन-किन अफसरों को मोक्षित कंपनी से कमीशन मिला है। कंपनी के डायरेक्टर से इसी को लेकर पूछताछ की जानी है। इसके साथ ही ईओडब्ल्यू की टीम ने खून जांचने वाली मशीनों को लॉक किए जाने के एंगल पर भी जांच शुरू कर दी है। पता लगाया जा रहा है कि मेंटेनेंस के बहाने कितने हेल्थ सेंटरों में जाकर मशीनों को लॉक किया गया। इसमें स्वास्थ्य विभाग के किसी अफसर की भूमिका तो नहीं है? चाल नाकाम… अपना रीएजेंट सप्लाई करने सुप्रीम कोर्ट तक लगाई याचिका, लेकिन वहां भी खारिज छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन ने रीएजेंट की सप्लाई में करोड़ों की गड़बड़ी सामने आने के बाद 2024 में मोक्षित कंपनी का रेट कांट्रेक्ट निरस्त कर दिया। इसके साथ ही नई कंपनियों से रीएजेंट खरीदी के लिए टेंडर जारी किया। इस टेंडर को अवैध ठहराते हुए इसे कैंसिल करवाने मोक्षित कंपनी की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। कोर्ट में उसने तर्क दिया कि उसकी कंपनी से सीजीएमएससी का अनुबंध है। ऐसी दशा में उसके कांट्रेक्ट की अवधि पूरी होने के बाद ही दूसरी कंपनी को ठेका दिया जा सकता है। कोर्ट ने कंपनी के तर्क को खारिज कर दिया। उसके बाद कंपनी की ओर से उन्हीं तर्कों के साथ सुप्रीम कोर्ट में यचिका दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट ने भी कंपनी की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि सीजीएमएससी जहां सस्ता और अच्छा रीएजेंट मिले, उसे खरीदने को तैयार है। रीएजेंट घोटाले में ईओडब्ल्यू ने 26 जनवरी को सीजीएमएससी के अधिकारी कर्मचारी के साथ मोक्षित कार्पोरेशन के रिकॉर्ड्स और मेडिकेयर सिस्टम, श्री शारदा इंडस्ट्रीज, सीबी कार्पोरेशन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। ये भी मोक्षित कंपनी की शाखाएं हैं। जांच में खुलासा… 5 लाख की मशीन 17 लाख में की सप्लाई, विभाग को 400 करोड़ का नुकसान शशांक ने टेंडर लेने के लिए तीन शैल कंपनी सीबी कॉरपोरेशन दुर्ग, रिकॉर्डर्स एवं मेडिकेयर सिस्टम हरियाणा और श्री शारदा इंडस्ट्रीज धरसींवा बनाईं। इन तीनों कंपनियों के नाम से खून की जांच में उपयोग होने वाले उपकरण, केमिकल, दवा और रीएजेंट ज्यादा कीमत में खरीदना दिखाकर उसी हिसाब से सरकार से पैसे लिए। कंपनी ने सीबीसी मशीन 17 लाख रुपए में खरीदी है, जो बाजार में 5 लाख रुपए में बिकती है। कंपनी ने करीब 750 करोड़ रुपए के रीएजेंट और मशीनें स्वास्थ्य विभाग को सप्लाई की है। अब तक की जांच के अनुसान इससे शासन को 411 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। मोक्षित कार्पोरेशन और सीबी कार्पोरेशन को नुकसान से बचाने के लिए 350 करोड़ का रीएजेंट खरीदा।

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