बलरामपुर जिले में धान खरीदी केंद्रों पर किसानों के साथ खुली लूट का मामला सामने आया है। तातापानी धान खरीदी केंद्र में प्रबंधक द्वारा शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जहां शासन के नियमानुसार प्रति बोरा 40 किलो धान लेने का प्रावधान है, वहीं केंद्र पर किसानों से 41.2 किलो धान लिया जा रहा है। इतना ही नहीं, हमाली शुल्क के नाम पर भी किसानों की जेब काटी जा रही है। प्रति बोरा 8 से 10 रुपए तक की वसूली की जा रही है, जबकि यह राशि शासन द्वारा सीधे समिति प्रबंधकों को दी जाती है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि प्रशासनिक अधिकारी इस घोटाले पर मौन हैं। जिले में धान खरीदी केंद्रों की निगरानी के लिए प्रशासनिक अमले की विशेष ड्यूटी लगाई गई है। लेकिन अधिकारी केवल औपचारिक जांच कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। किसानों का कहना है कि शासन की मंशा उन्हें उपज का उचित मूल्य दिलाने की है, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के कारण वे दोहरी मार झेल रहे हैं। एक तरफ अतिरिक्त धान की वसूली और दूसरी तरफ हमाली शुल्क का अतिरिक्त बोझ उन पर डाला जा रहा है। प्रशासनिक अमले की लापरवाही
धान खरीदी केंद्रों में अधिकारी केवल जांच के नाम पर औपचारिकताएं पूरी करते नजर आ रहे हैं। केंद्र पर हो रही धांधली की जानकारी होने के बावजूद कोई सख्त कदम नहीं उठाया जा रहा। किसानों का कहना है कि शिकायत करने के बावजूद उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। किसानों की मेहनत पर हो रहा डाका
किसान अपनी जमीन पर दिन-रात मेहनत करके धान की पैदावार करते हैं और उनकी उम्मीद होती है कि शासन से उन्हें उनके पसीने की सही कीमत मिलेगी। लेकिन तातापानी केंद्र में हो रही इस गड़बड़ी ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। किसानों का कहना है कि हमाली का पैसा अपनी जेब से देना उनके लिए भारी आर्थिक नुकसान का कारण बन रहा है। इस मामले में जब आरएन पैकरा सहायक पंजीयक सहकारिता विभाग के अधिकारी से बात की गई, तो उन्होंने जांच की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया। प्रशासन की निष्क्रियता और केंद्र प्रबंधकों की मनमानी से किसानों में गहरी नाराजगी है। वे मांग कर रहे हैं कि इस ठगी पर तत्काल रोक लगाई जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।
