छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में रविवार रात 10 बजे से शुरू हुआ बड़ा नक्सल ऑपरेशन थम चुका है। मैनपुर के भालूडिग्गी पहाड़ी से फोर्स ने 16 नक्सलियों का शव रिकवर किया है। मारे गए 16 नक्सलियों में से एक नाम चलपति का है। और ये नाम इस समय सबसे ज्यादा चर्चा में बना हुआ है। वो इसलिए क्योंकि चलपति का खौफ पिछले 30 सालों से तीन राज्यों में था। चलपति पर एक करोड़ का इनाम था। गोरिल्ला वॉर में एक्सपर्ट चलपति नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी का मेंबर था। ऐसे पूरे भारत में सिर्फ 22 ही हैं। इन सेंट्रल कमेटी मेंबर्स की धूरी पर ही नक्सलियों के बाकी समूह चक्कर लगाते हैं। गुरुवार को अन्य नक्सलियों के शव के साथ चलपति की बॉडी भी पोस्टमॉर्टम के लिए रायपुर के मेकाहारा हॉस्पिटल लाई गई। चलपति की बॉडी लेने उनके ससुर लक्ष्मण राव पहुंचे। लक्ष्मण राव ने बताया उनको चलपति की मौत की जानकारी ‘दैनिक भास्कर’ में पब्लिश खबर के जरिए मिली थी। इस दौरान लक्ष्मण राव की बातों में दामाद की मौत का गम नहीं था। बल्कि उनकी बॉडी लैंग्वेज में एक कॉन्फिडेंस झलक रहा था, बिल्कुल ऐसा कि वो किसी शहीद के ससुर हों। लक्ष्मण राव ने कहा कि सवाल करने वालों को दबाया जा रहा है। सरकार जंगल कॉर्पोरेट के हवाले कर देगी। आगे लक्ष्मण राव ने कई और बाते भी कहीं। लेकिन उस पर जाने से पहले एक नजर चलपति के प्रोफाइल पर डालते हैं…. इंटरमीडिएट की पढ़ाई छोड़ नक्सल मूवमेंट ज्वाइन किया 62 साल के चलपति का पूरा असली नाम प्रताप रेड्डी रामचंद्र रेड्डी है। रेड्डी आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के माटेम्पाइपल्ली गांव का रहने वाला था। 1971 के करीब चलपति पीपुल्स वॉर ग्रुप(PWG) के विचारों से प्रभावित हुआ था। ये समूह मार्क्स वाद और लेनिन की विचारधारा पर बात करता था। 1980 तक चलपति ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई छोड़ दी। फिर श्रीकाकुलम जाकर PWS से जुड़ गया। कई नामों से जाना जाता था चलपति इसके बाद चलपति में श्रीकाकुलम के उड्डनम इलाके में काम किया। काम को देखते हुए उसे जल्द ही पार्टी सदस्य से डिविजनल कमेटी सदस्य (DCM) बना दिया गया। इस समय तक चलपति को प्रताप, रवि और जयराम के साथ कई और नामों से भी जाना जाने लगा था। साल 2000 तक नक्सलियों का फ्रंट लाइन लीडर बना दिसंबर, साल 2000 तक चलपति नक्सल गतिविधियों को फ्रंट लाइन पर आकर लीड करने लगा था। इसी साल उसे स्पेशल रीजनल कमेटी का मेंबर बनाया गया। इस रैंक के उसे आंध्र –ओडिशा सीमा के राज्य सैन्य आयोग में भी शामिल किया गया। गुरिल्ला युद्ध में माहिर था चलपति, इसी से मिली पहचान चलपति गुरिल्ला युद्ध में माहिर था। जिसके चलते उसका कद पार्टी में बहुत तेजी से बढ़ा। सीपीआई का सेंट्रल मिलिट्री कमीशन भी हाई-प्रोफाइल हमलों की प्लानिंग के लिए चलपति पर ही निर्भर था। इसके अलावा चलपति पर नए लड़ाकों की भर्ती की भी जिम्मेदारी थी। साल 2016 में पहली बार चलपति का चेहरा सामने आया चलपति पर पिछले तीन दशक से अधिक समय तक आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाकों में बड़े हमलों के मास्टरमाइंड का आरोप था। साल 2016 में पहली बार फोर्स को पता चला था कि चलपति दिखता कैसा है? दरअसल, मई 2016 में आंध्र प्रदेश पुलिस को विशाखापट्टनम में एक मुठभेड़ में मारे गए एक माओवादी नेता के लैपटॉप में उसकी पत्नी के साथ उसकी एक सेल्फी मिली। यही सेल्फी इस सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। प्रेम संबंधों के चलते संगठन ने निकाला अरुणा उर्फ चैतन्य वेंकट रवि और चलपति की लव स्टोरी नक्सलियों के बीच काफी फेमस है। साल 2010 में अरुणा साथ संबंध रखने के लिए संगठन ने उसे एक साल के लिए निलंबित भी कर दिया गया था। जिसके बाद उसने अरूणा से शादी कर ली। ससुर बोले– मेरी बेटी भी नक्सली चलपति के ससुर ने बताया कि वो जंगलों में काम करता था। मेरी बेटी भी जंगलों में काम करती है। वो भी नक्सली है। सरकार का मकसद एक ही है। जंगलों से आदिवासियों से हटाना। सरकार जंगल कॉर्पोरेट्स को देगी। सरकार शेडो से फाइट कर रही है मेरा दामाद अकेला नहीं है। सही काम के लिए कई लोग जान दांव पर लेकर चल रहे हैं। सिर्फ भारत में ही नहीं पूरे वर्ल्ड में ऐसा है। सेंट्रल गवर्नमेंट ने नक्सलियों को खत्म करने की डेटलाइन दे दी है। लेकिन सरकार शेडो से फाइट कर रही है। असली मुद्दा बेरोजगारी है, महंगाई है, भ्रष्टाचार है। जो इसके खिलाफ आवाज उठाता है, उसे मार दिया जाता है। ……………………………………………….. नक्सल मुठभेड़ और चलपति से जुड़ी ये खबर पढ़ें… गरियाबंद एनकाउंटर..मारे गए 3 करोड़ से ज्यादा के 16 नक्सली: यहीं से 3 राज्यों की नक्सल एक्टिविटी कंट्रोल करता था एक करोड़ का इनामी चलपति छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में मारे गए नक्सलियों की पहचान हो चुकी है। करीब 80 घंटे तक चले इस ऑपरेशन में 16 नक्सली मारे गए। इनमें से 12 नक्सलियों पर कुल 3 करोड़ 16 लाख रुपए का इनाम घोषित था। पढ़ें पूरी खबर