शहर के महामाया पहाड़ पर वन विभाग के रिजर्व फॉरेस्ट की भूमि पर सात सालों से घर बनाकर रहने वाले 38 लोगों का मकान प्रशासन ने तीन बुलडोजर से ढहा दिया। पहले चरण में बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ प्रशासन की टीम 60 घरों को तोड़ने पहुंची थी, लेकिन 2.30 बजे हाई कोर्ट से स्टे मिलने के बाद कार्रवाई रोक दी गई। इससे बाकी घर बच गए। पहाड़ पर से कब्जा हटाने के लिए प्रशासन और पुलिस बल को दो दिन पहले से ही अलर्ट कर दिया गया था। सोमवार को तड़के तीन बजे 700 पुलिस के जवानों के साथ वन विभाग और प्रशासन की टीम महामाया पहाड़ पहुंची और इलाके की घेराबंदी कर बैरिकेड लगाया। सुबह जैसे ही लोग उठे इलाके को छावनी में बदला देख घबरा गए। प्रशासन ने जिन घरों में बेदखली का नोटिस चस्पा किया गया था उन्हें उठाया और तुरंत ही घर खाली करने कहा। इससे वहां विवाद की स्थिति बन गई। सूचना पर वहां कांग्रेस नेता पहुंचे और कार्रवाई का विरोध करने लगे। धीरे-धीरे लोग वहां इकट्ठा होने लगे और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इतने में कुछ लोग बुलडोजर के आगे भी बैठ गए। माहौल को उग्र होता देख प्रशासन ने सख्ती बरती और बुलडोजर के नीचे से सभी को हटाकर एक के बाद एक 38 मकानों पर बुलडोजर चलवाया। घरों को तोड़ने से पहले सामान निकालने के लिए 10 मिनट का समय दिया गया था। तड़के 3 बजे पहुंच गई टीम सोमवार तड़के 3 बजे जब फोर्स पहुंची तब सभी लोग सो रहे थे। पुलिस की अधिकांश बड़ी गा​ड़ियां महामाया मंदिर के पास ही रोकी गई थी। इसके बाद फोर्स वहां तक पैदल गई। पहले इलाके की मोर्चा बंदी की गई। फिर जिन घरों को नोटिस चस्पा किया गया था, उन्हें उठाने का काम शुरू हुआ। तब तक 7.30 बज चुके थे। बड़ी संख्या में पुलिस को देखकर लोग इकट्ठा हो गए। वहीं, मौके पर कांग्रेस के नेता भी पहुंचे। आठ बजे तक वहां हंगामा होता रहा। कुछ लोगों की पुलिस से झूमाझटकी भी हुई।
महिलाएं भी विरोध करने लगी। पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए सभी को वहां से हटाया और घर से सामान खाली करने का 10 मिनट का समय दिया। करीब 9.10 बजे पहला घर तोड़ा गया। इसके बाद महिलाएं रोने लगी, परिवार वालों ने किसी तरह से उन्हें संभाला। कई महिलाएं घर से निकलने को तैयार हीं नहीं हुई और बोलने लगी कि हमारे ऊपर ही घर को ढहा दो। महिला पुलिस कर्मी ने उन्हें वहां से निकाल। महिलाएं रोते हुए अनाज, बर्तन और बच्चों के साथ बाहर आई। इसके बाद तीनों बुलडोजर से मकान को ढहाया गया। इस दौरान 2.30 बजे एसडीएम को कोर्ट का स्टे मिला और कार्रवाई रोक दी गई। 2017 में अतिक्रमण हटाने जारी किया गया था ऑर्डर 2017 में महामाया पहाड़ पर अवैध अतिक्रमण का सर्वे कर 440 लोगों को चिह्नांकित किया गया। जिन्होंने वन विभाग की रिजर्व भूमि पर घर बनाया था। पहले चरण में 60 लोगों को घर हटाने के लिए डीएफओ ने नोटिस जारी किया। इसके बाद राजनीतिक दबाव के कारण कार्रवाई नहीं हो सकी। चार दिन पहले अंबिकापुर पहुंचे वन मंत्री के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई। के दौरे पर आए और पहाड़ पर अतिक्रमण देखकर अधिकारियों को फटकार लगाई और अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए। इसके बाद डीएफओ ने पहले से चिह्नांकित 60 लोगों को 24 घंटे के भीतर घर खाली करने का अल्टीमेटम दिया। 24 घंटे बीतने के बाद जब लोगों ने घर खाली नहीं किया तो बुलडोजर से घर को ढहाया गया। कोर्ट ने पूछा- घरों तो तोड़ना इतना जरुरी क्यों है ? मामले की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट में अर्जेंट हियरिंग के तहत सुनवाई की गई। जज ने पूछा कि लोगों के घरों तो तोड़ना इतना जरुरी क्यों है? इस पर वन विभाग के वकील ने अपना पक्ष रखा। कोर्ट ने पांच दिन की समय दिया है। डीएफओ और कब्जाधारी दोनों ही अपना-अपना पक्ष कोर्ट के सामने रखेंगे। इसके बाद आगे का निर्णय होगा। फिलहाल, जिन 36 लोगों के घरों को तोड़ा गया है, उनके लिए वहीं के लोगों ने टेंट की व्यवस्था की है।

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