हायर एजुकेशन और विदेशों में पढ़ाई के लिए प्रदेशभर से हर साल 11 हजार से ज्यादा छात्र एजुकेशन लोन के लिए आवेदन कर रहे हैं। लेकिन कड़ी शर्तों और दस्तावेजों की वजह से 3000 से भी कम को लोन मिल पा रहा है। यही वजह है कि छात्रों के अभिभावकों को एजुकेशन लोन के लिए संपत्तियों को गिरवी रखना पड़ रहा है। जिन छात्रों को लोन की जरूरत तत्काल होती है वे 12 से 14 प्रतिशत ब्याज दर में पर्सनल लोन ले रहे हैं। एजुकेशन लोन कितनी तेजी से मंजूर हो रहे हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि छत्तीसगढ़ में होम लोन औसतन हर साल एक हजार करोड़ से ज्यादा दिया जा रहा है, लेकिन एजुकेशन लोन औसतन 500 करोड़ ही है। केंद्र सरकार की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार देशभर में करीब 4.3 करोड़ छात्र उच्च शिक्षा की पढ़ाई कर रहे हैं। आरबीआई के अनुसार इनमें लगभग 25 लाख छात्रों को पढ़ाई के लिए कर्ज की जरूरत होती है। विदेश जाने वाले 70% छात्र बिना कर्ज के पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। बैंकों की ओर से एजुकेशन लोन 9 से 11% में उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन अधिकतर को लोन मिल ही नहीं रहा है। राज्यभर में हर साल करीब एक लाख और केवल पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से 37 हजार से ज्यादा छात्र ग्रेजुएशन कर पासआउट हो रहे हैं। इसके अलावा हर साल 40 हजार से ज्यादा छात्र नीट और जेईई के एग्जाम में बैठते हैं। इसमें बड़ी संख्या में छात्रों को सफलता भी मिल रही है। परीक्षा में पास होने के बाद जब वे एजुकेशन लोन के लिए आवेदन करते हैं तो उन्हें लोन नहीं मिल रहा क्लियर गाइडलाइन ही नहीं
बैंक से जुड़े जानकारों का कहना है कि एजुकेशन लोन को लेकर केंद्र सरकार और आरबीआई की ओर से कोई गाइडलाइन तय नहीं है। इसी बात का फायदा बैंक वाले उठा रहे हैं। विदेशों में अच्छी यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेने वाले छात्रों का एक साल का खर्चा जिसमें फीस, रहना, खाना-पीना आदि शामिल है, करीब एक करोड़ होता है। इस वजह से बिना लोन के बिना पढ़ाई हो ही नहीं सकती। लोन की रकम ज्यादा होने की वजह से बैंक वाले अक्सर विदेशों में पढ़ाई करने वालों को लोन उपलब्ध नहीं कराते हैं। सरकारी योजना का भी बुरा हाल
मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा ऋण अनुदान योजना के तहत एजुकेशन लोन दिया जाता है। लेकिन इसका नियम यह है कि आवेदन जिला प्रशासन लेता है, लेकिन लोन देने की अंतिम मंजूरी बैंक वाले ही देते हैं। राज्य में पब्लिक सेक्टर के 28 और प्राइवेट सेक्टर के 21 बैंक इस योजना के तहत लोन उपलब्ध कराते हैं। बैंक पहले छात्रों को लोन देते हैं, इसके बाद उसकी सब्सिडी और बाकी रकम के लिए राज्य सरकार के पास क्लेम करते हैं। सरकार की ओर से क्लेम की रकम आसानी से वापस नहीं की जाती है। इस वजह से बैंक वाले सरकारी अनुदान के तहत लोन देने में आनाकानी करते हैं। लोन मिले इसलिए आसान नियम लेकिन इस वजह से नहीं मिल रहा
बैंकों की ओर से क्लेम प्रस्तुत नहीं करने की स्थिति में ब्याज की राशि बैंक द्वारा विद्यार्थियों से वसूल की जाती है। इस वजह से सरकारी योजना का फायदा सभी छात्रों को नहीं मिल रहा है।
मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा ऋण अनुदान योजना की जानकारी ज्यादातर बैंक शाखा प्रबंधकों को ठीक से होती ही नहीं है। इस वजह से वे इसका प्रचार-प्रसार भी नहीं कर पा रहे हैं।
. ब्याज अनुदान की राशि का समायोजन छात्रों के खाते में करने के बाद उपयोगिता प्रमाण-पत्र संबंधित बैंकों द्वारा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। इससे सभी की परेशानी बढ़ी है। बैंकों पर कर रहे सख्ती, हर माह रिपोर्ट भी लेंगे पिछले हफ्ते ही राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में स्पष्ट कहा गया है कि बैंक वाले सरकारी योजना के तहत एजुकेशन लोन देने में कोई आनाकानी न करें। जो दस्तावेज पूरे कर रहे हैं उन्हें हर हाल में लोन देना होगा। अब तो मासिक रिपोर्ट भी लेंगे।ओपी चौधरी, वित्त मंत्री ऐसे ले सकते हैं जानकारी
छात्र अपनी पात्रता और योजना के नियमों की जानकारी विभागीय फोन नंबर 0771-2331231 पर ले सकते हैं। विभाग की वेबसाइट http://www.cgdteraipur.cgstate.gov.in पर भी विजिट कर सकते हैं। बैंकों ने मुख्यमंत्री अनुदान योजना के तहत इतने लोगों के लोन मंजूर किए