अफगानिस्तान में एक चुनी हुई सरकार का तख्ता पलटने वाले तालिबान ने अब अपना असली चेहरा दिखाना शुरू कर दिया है। तालिबान ने साफ कहा है कि अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल नहीं की जाएगी, न ही चुनाव कराए जाएंगे। अफगानिस्तान शरीया के मुताबिक चलेगा। इसके साथ ही तालिबान ने अफगानिस्तान में फिर से आतंक मचाना शुरू कर दिया है।
उसने अफगानिस्तानियों में खौफ पैदा करने के लिए शक्ती प्रदर्शन किया और हथियार लहराते हुए मार्च किया। वैसे भी तख्ता पलट के बाद से ही तालिबान ने हैवानियत दिखानी शुरू कर दी है। तालिबान का विरोध करने वालों को गोली मारी जा रही है और घर-घर तलाशी अभियान चलाकर विरोधियों के साथ कू्ररता की जा रही है। यही नहीं बल्कि तालिबान ने भारतीय दूतावास की भी तलाशी ली है, जो खाली हो चुका है।
भारत ने पहले ही अपना दूतावास बंद कर वहां से अपने अधिकारियों और कर्मचारियों को वापस बुला लिया है। जबकि तालिबान नेताओं ने कहा था कि भारतीयों को तालिबान से कोई खतरा नहीं है वे अपना दूतावास बंद न करें, लेकिन भारत सरकार ने तालिबान की इस बात पर भरोसा नहीं किया और दूतावास से अपने स्टॉफ को वापस बुला लिया। ऐसा कर के भारत ने सही किया है क्योंकि अब तालिबान की कथनी और करनी में फर्क साफ नजर आ रहा है।
तालिबान ने न सिर्फ भारतीय दूतावास की तलाशी ली है बल्कि वहां खड़ी गाडिय़ां भी अपने साथ ले गए है। इसी से स्पष्ट है कि तालिबान का मुखौटा उतर चुका है और वह अपनी बेरहमी से अफगानिस्तानियों को आतंकित करने के काम पर जुट गया है। यही वजह है कि अफगानिस्तान से लोग पलायन के लिए विवश हो गए है।
इस बीच अच्छी खबर यह है कि अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अमरूल्लाह सालेह के आव्हान पर तालिबान के खिलाफ अफगानिस्तान के कई इलाकों में विद्रोह तेज होने लगा है। तालिबानियों के खिलाफ जंग का एलान करने वाले संगठनों ने दुनिया के तमाम देशों से मदद की गुहार लगाई है और तालिबान से लडऩे के लिए हथियारों की मांग की है।
कुल मिलाकर अफगानिस्तान में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे है और वहां गृह युद्ध ही स्थिति पैदा होने लगी है। दुनिया के शांतीप्रीय देशों की चाहिए कि वह अफगानिस्तान में तालिबान के आतंक को खत्म करने के लिए एकजुट होकर आगे आएं और वहां मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कारगर पहल करें।