एक तरफ सरकार किसानों से 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीद रही है, वहीं दूसरी तरफ उन्हीं किसानों से धान क्रय केंद्रों पर धान बेचने पर कमीशन लिया जा रहा है। यह मामला दुर्ग जिले के धमधा धान खरीदी केंद्र का है। दरअसल, किसानों ने आरोप लगाया है कि, केंद्र में धान तौलाने के एवज में हर बोरे पर 5-10 रुपए लिया जा रहा है। किसानों ने यह बात वीडियो में कहा है, लेकिन धान खरीदी केंद्र के जिम्मेदार इसे मानने के लिए तैयार नहीं है। धान खरीदी केंद्र धमधा के समिति प्रभारी अजय कुमार ताम्रकार और सुपरवाइजर संजय दल्लीवार इसे मजाक में ले रहे हैं। उन्होंने यह दावा किया कि धान बेचने के एवज में किसान से कोई कमीशन नहीं लिया जा रहा है। अगर किसान अपनी खुशी से धान तौलने वाले को रुपए दे रहा है, तो वो क्या कर सकते हैं। पैसे नहीं देने पर कम तौल जबकि धान खरीदी केंद्र की जमीनी हकीकत यही है कि, वहां उसी किसान का धान सही से तौला जाता है, जो तौल करने वाले को प्रति बोरा 5-10 रुपए के एवज रुपए देता है। पैसे नहीं देने वाले किसान को या तो तौल के लिए कई घंटे या दिन इंतजार कराया जाता है या फिर उसकी तौल सही से ना करते हुए कम तौला जा रहा है। हर दिन 20-30 हजार रुपए की कमाई धमधा विकास खंड मुख्य-रूप से खेती किसानी वाला क्षेत्र है। यहां धान खरीदी केंद्र में हर दिन 3-4 हजार क्विंटल धान बेचने के लिए किसान पहुंच रहे हैं। उनसे हर बोरे के पीछे 5-10 रुपए कमीशन लिया जा रहा है। इस तरह देखा जाए तो इस धान खरीदी केंद्र के लोग हर दिन किसानों से 20-30 हजार रुपए वसूल रहे हैं। धान के वजन से कम तौल धमधा धान खरीदी केंद्र कमीशन लेने के साथ-साथ वजन से कम धान की तौल भी की जाती है। समिति के लोगों का कहना है कि, शासकीय नियम के मुताबिक उन्हें प्रति बोरे के पीछे 600-700 ग्राम वजन एक बोरा धान की तौल में कम करना है, लेकिन बोरा पुराना बताकर यहां 900 ग्राम से 1 किलोग्राम तक धान कम तौला जा रहा है। तौल, भराई और सिलाई का काम करना है निशुल्क नियम के मुताबिक, हर धान खरीदी केंद्र में सरकार ने इतनी व्यवस्था की हुई है कि किसानों को पीने के पानी से लेकर बैठने आदि जैसी समस्या का सामना ना करना पड़े। इतना ही नहीं खरीदी केंद्र में धान की तौलाई से लेकर उसकी भराई और सिलाई का कार्य वहां कर्मचारियों द्वारा निशुल्क किया जाता है। इसके लिए किसान से कोई राशि नहीं ली जानी है। जल्दी तौल का नंबर आने के चलते किसान दे रहे कमीशन कुछ किसानों से बात की गई, तो उन्होंने यह भी कबूल किया वो लोग प्रति बोरा के पीछे कमीशन दे रहे हैं। वह इसलिए क्योंकि यदि वो कमीशन नहीं देंगे तो उनकी तौल काफी देर से आएगी। इसलिए जल्दी तौल कराने के चक्कर में किसान पैसे भी दे रहे हैं।