शराब घोटाले में पूर्व आबकारी मंत्री और विधायक कवासी लखमा की गिरफ्तारी के बाद उनकी जेड श्रेणी की सुरक्षा हटा दी गई है। दरअसल, बुधवार को उन्हें जब कोर्ट में पेश किया गया था, तब सिक्योरिटी साथ में थी, लेकिन अब उसे हटा दिया गया है। इस बीच ईडी ने लखमा के सीए को तलब किया था, लेकिन शहर से बाहर होने की वजह से वे नहीं आए। इस बीच, लखमा को ईडी ने अपने पचपेढ़ीनाका स्थित दफ्तर में गुरुवार को दिनभर बिठाए रखा। उनसे किसी तरह की कोई पूछताछ नहीं की गई। बताया गया कि कई आबकारी अधिकारियों के खिलाफ सबूत मिले हैं, इसलिए उनकी गिरफ्तारी हो सकती है। ईडी उनसे पूछताछ भी कर चुकी है। पूर्व मंत्री के बेटे और पत्नी के खातों में जमा हुए पैसों का ट्रांजेक्शन रिकाॅर्ड भी चेक किया जा रहा है। पूर्व मंत्री लखमा पर शराब की पॉलिसी बदलने के एवज में हर महीने 2 करोड़ मिलने का आरोप है। ईडी की टीम 2020 के बाद से लखमा, उनकी पत्नी और बेटे हरीश सहित परिवार के अन्य सदस्यों के बैंक खातों में ट्रांसफर होने वाली रकम का रिकार्ड चेक कर रही है। ये देखा जा रहा है कि कब-कब और कितने पैसों का ट्रांजेक्शन किया गया है। हरीश के नाम पर बन रहे मकान के लिए पैसे कहां से और किस रास्ते से आए? ये भी चेक किया जा रहा है। शराब घोटाले के पैसों के लेन-देन में पूर्व मंत्री के पीए जयंत देवांगन से पूछताछ की जा चुकी है। इस दौरान पीए की सीधी भूमिका सामने आई है। पूर्व मंत्री के पीए केंद्र सरकार के राष्ट्रीय भाषा विभाग में कार्यरत थे। वे यहां डेपुटेशन पर आए और जनसंपर्क में पदस्थ किए गए। वहीं से उन्हें आबकारी मंत्री का पीए बनाया गया था। इनके अलावा आबकारी अधिकारी कन्हैया लाल कुर्रे और जगन्नाथ के खिलाफ भी ईडी अहम जानकारी मिली है। दोनों से पूर्व में पूछताछ की जा चुकी है। जानकारों के अनुसार इन तीनों के अलावा शराब सिंडिकेट में शामिल कुछ लोगों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। भूपेश ने साधा निशाना, बोले- कवासी ने भ्रष्टाचार उजागर किया, इसलिए कार्रवाई पूर्व मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कई सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि लखमा ने विधानसभा में साय सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर किया था, इसलिए बदले की भावना में उन पर कार्रवाई की गई। नई दिल्ली में गुरुवार को मीडिया से चर्चा के दौरान भूपेश ने कहा कि लखमा ने पीडब्ल्यूडी के भ्रष्टाचार पर विधानसभा में सवाल पूछा था। तारांकित प्रश्न था, उसका लिखित जवाब भी आया था। मंत्री ने खुद स्वीकार किया कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगी थी, उस समय विभाग की स्वीकृति के बिना टेंडर के पुल निर्माण करवा लिया गया। टेंडर उस दिन खुला जिस दिन कवासी ने सवाल लगाया था। टेंडर के बिना स्वीकृति के आचार संहिता के समय पुल बन रहा था। इसको लखमा ने प्रमुखता से उठाया। सरकार, दोषी अधिकारी और ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय आठ दिन के भीतर ईडी ने कवासी लखमा और उनके परिवार के छापे मारे। छापे में लखमा के यहां एक रुपया भी नहीं मिला और कोई कागजात भी नहीं मिला और उसके बाद उनको गिरफ्तार कर लिया गया। उनको इसलिये गिरफ्तार कर लिया गया। करप्शन के कारण ही हुई पत्रकार की हत्या
भूपेश ने कहा कि बात यही तक नहीं रुकी कुछ दिन पहले पत्रकार मुकेश चंद्रकार ने सड़क में भ्रष्टाचार के मामले को उजागर किया। जो 50 करोड़ की सड़क है और उसकी लागत बढ़कर 142 करोड़ हो गया। सड़क बनी नहीं और 90 प्रतिशत भुगतान हो गया। तब पत्रकार की हत्या कर दी गई। मतलब यह है कि भ्रष्टाचार उजागर करेंगे तो ईडी गिरफ्तार कर लेगी या मौत की नींद सुला दिया जायेगा यह स्थिति है।
