छत्तीसगढ़ कांग्रेस के उपाध्यक्ष और पूर्व सांसद पीआर खूंटे ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज को अपना इस्तीफा भेजा है। खूंटे लम्बे समय से पार्टी से नाराज चल रहे थे। जिसके बाद उन्होने ये फैसला लिया है। साल 2022 में पीआर खूंटे ने राज्यसभा के लिए दावेदारी की थी लेकिन पार्टी ने उन्हे मौका नहीं दिया। खूंटे ने अपने इस्तीफे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों पर ही आरोप लगाते हुए कहा कि दोनो ही पार्टियों ने छत्तीसगढ़ के गरीब और मूल निवासियों का शोषण किया है और उनकी समस्याओं का समाधान करने में असफल रही है। वरिष्ठ नेताओं में गिनती होती है, लोकसभा सांसद रहे पीआर खूंटे की गिनती कांग्रेस केवरिष्ठ नेताओं में होती है। पीआर खूंटे 13वीं लोकसभा के सदस्य थे, उन्होंने 1999 लोकसभा चुनाव में अविभाजित मध्यप्रदेश के सारंगगढ़ सीट से चुनाव जीता था। इसके अलावा जब पलारी विधानसभा सीट थी तब पीआर खूंटे वहां से विधायक भी रहे हैं। खूंटे सतनामी समाज के बड़े नेता बदल सकते हैं समीकरण सतनामी समाज के बड़े नेताओं में पीआर खूंटे शामिल है।ऐसे में सारंगढ़ इलाके में आने वाले निकाय और पंचायत चुनाव में कांग्रेस के समीकरण बदल सकते हैं। क्योंकि अपने इस्तीफे में उन्होंने कांग्रेस के अलावा बीजेपी की भी आलोचना की है। इसलिए माना जा रहा है कि वे बीजेपी में शामिल नहीं होंगे। ऐसे में कयास नए राजनीतिक समीकरणों के भी लगाए जा रहे हैं। हांलाकि उन्होंने नई पार्टी बनाने या फिर किसी दूसरे दल में शामिल होने को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है। लेकिन निकाय चुनाव से ठीक पहले लिए गए इस फैसले की वजह से कांग्रेस में कई तरह की चर्चाएं है। खूंटे के इस्तीफे से सतनामी बहुल इलाकों में चुनावी माहौल प्रभावित हो सकता है। खासकर सारंगढ़ इलाके में कांग्रेस के लिए चुनौतियां बढ़ जाएंगी क्योंकि इन इलाकों में खूंटे की मजबूत पकड़ है।

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