छत्तीसगढ़ में शराब दुकानों से 4 साल में (2019 से 2023 तक) नकली होलोग्राम से 40 लाख पेटी से ज्यादा शराब बेची गई। इसकी बिक्री और कमीशन से 1 हजार 660 करोड़ 41 लाख 56 रुपए की कमाई सिंडिकेट के सदस्यों की हुई थी। ये कमीशन डिस्टलरी संचालकों से लिया गया। ACB की ओर से कोर्ट में पेश की गई चार्जशीट से इसका पता चला था। उसके मुताबिक, कमीशन और बिक्री के इन पैसों का हिसाब रखने के लिए बाकायदा सरकारी शराब दुकानों में अलग-अलग गल्ला सिंडिकेट सदस्यों ने रखवाया गया था। ED ने 2023 में छापा मारकर इस लिकर स्कैम का खुलासा किया था। BJP ने इसे चुनाव में मुद्दा बनाया। सरकार बनते ही ED की शिकायत पर ACB ने केस दर्ज कर जांच शुरू की। इसमें कई अफसर-कारोबारी जेल गए और मंत्री पर आरोप है। जांच की आंच UP तक पहुंची थी। लखमा को हर महीने 2 करोड़ मिला कमीशन, गिरफ्तार अब पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को ED ने गिरफ्तार कर 21 जनवरी तक रिमांड पर ले लिया है। ED के वकील ने दावा किया है कि, कवासी लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपए मिलते थे। इससे पहले अब तक हर महीने लखमा को 50 लाख मिलने की बात सामने आई थी। वकील सौरभ पांडेय ने कहा कि, 2 साल तक कार्रवाई चली जिसमें 36 महीने में प्रोसीड ऑफ क्राइम 72 करोड़ रुपए का है। ये राशि सुकमा में बेटे हरीश कवासी के घर के निर्माण और कांग्रेस भवन सुकमा के निर्माण में लगी है। शराब घोटाले का सिंडिकेट किसने बनाया? कौन-कौन इस सिंडिकेट में शामिल था? किसे-किसे पैसा जाता था? EOW की चार्जशीट में क्या ? पढ़िए प्रदेश के सबसे चर्चित घोटाले की इनसाइड स्टोरी…… होटल वेनिंगटन में हुआ था सिंडिकेट का गठन कारोबारी अनवर ढेबर ने सिंडिकेट का गठन करने के लिए फरवरी 2019 में जेल रोड स्थित होटल वेनिंगटन में प्रदेश के तीन डिस्टलरी मालिकों को बुलाया। इस मीटिंग में छत्तीसगढ़ डिस्टलरी से नवीन केडिया, भाटिया वाइंस प्राइवेट लिमिटेड से भूपेंदर पाल सिंह भटिया व प्रिंस भाटिया, वेलकम डिस्टलरी से राजेंद्र जायसवाल उर्फ चुन्नू जायसवाल के साथ हीरालाल जायसवाल और नवीन केडिया के संपर्क अधिकारी संजय फतेहपुरिया पहुंचे। मीटिंग में इनके अलावा एपी त्रिपाठी और अरविंद सिंह भी मौजूद थे। मीटिंग में अनवर ढेबर ने तय किया कि डिस्टलरी से जो शराब सप्लाई की जाती है, उसमें प्रति पेटी कमीशन देना होगा। कमीशन के बदले रेट बढ़ाने का आश्वासन डिस्टलरी संचालकों को दिया गया। पैसे का हिसाब-किताब करने के लिए आरोपियों ने पूरे कारोबार को ए, बी और सी पार्ट में बांटा। ED ने अनवर ढेबर, एपी त्रिपाठी और अरविंद सिंह सहित अन्य को घोटाले का मास्टरमाइंड बताया था। A, B और C कैटेगरी में बांटकर किया गया घोटाला A: डिस्टलरी संचालकों से कमीशन B: नकली होलोग्राम वाली शराब को सरकारी दुकानों से बिकवाना C: डिस्टलरीज की सप्लाई एरिया को कम/ज्यादा कर अवैध धन उगाही करना अब जानिए ED की चार्जशीट में क्या…? पहले साल 2017 में बनी आबकारी नीति को बदलकर CSMCL के जरिए शराब बेचना शुरू किया गया था। 2019 के बाद अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त कराया, उसके बाद अधिकारी, कारोबारी, राजनीतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के जरिए भ्रष्टाचार किया गया। जिससे 2161 करोड़ का घोटाला हुआ। बीजेपी सरकार के समय ये नियम बनाया गया था कि सभी एजेंसियों से शराब खरीदी कर इसे दुकानों में बेचा जाएगा। इसके बाद कांग्रेस सरकार ने इसे बदलकर अपने खास फर्मों को सप्लाई की जिम्मेदारी दे दी। शराब घोटाले में सिंडिकेट को सबसे ज्यादा पावर अनिल टुटेजा से मिलती थी, जो कंट्रोलर की भूमिका में थे। ED ने उन्हें आर्किटेक्ट ऑफ लिकर स्कैम बताया था। ED की FIR में इन आरोपियों के नाम तत्कालीन आबकारी मंत्री और आयुक्त को मिलते थे 50-50 लाख पहले ED की चार्जशीट से खुलासा हुआ था कि, ये पूरा सिंडिकेट सरकार के इशारों पर ही चलता रहा। तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा को भी इसकी जानकारी थी और कथित तौर पर कमीशन का बड़ा हिस्सा पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के पास भी जाता था। कवासी लखमा और तत्कालीन आबकारी आयुक्त निरंजन दास को 50-50 लाख हर महीने दिए जाते थे। ………………………………… शराब घोटाले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… लखमा को हर महीने 2 करोड़ मिला कमीशन:ED के वकील बोले- 36 महीने में 72 करोड़ मिले, इससे हरीश का घर; कांग्रेस भवन बना शराब घोटाला केस में छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा ED की रिमांड में हैं। बुधवार को वे रायपुर के ED दफ्तर पूछताछ के लिए पहुंचे थे। यहीं से उनकी गिरफ्तारी हुई। रिमांड मिलने के बाद अब ED के वकील ने दावा किया है कि, कवासी लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपए मिलते थे। पढ़ें पूरी खबर