महादेव सट्टा ऐप मामले में ED और EOW के बाद CBI ने इसकी जांच अपने हाथ में ले ली है। इसकी जांच के लिए सीबीआई की स्पेशल टीम छत्तीसगढ़ भेजी गई है। सीबीआई के अफसरों ने ईडी और ईओडब्ल्यू में दर्ज केस की डायरी लेने के साथ ही गोपनीय जांच भी शुरू कर दी है । इस मामले में अब CBI की टीम अधिकारी और नेताओं की घर रेड डालकर पूछताछ करेगी। महादेव सट्टा ऐप के लिए संचालकों के प्रोटेक्शन मनी और कमीशन को लेकर नेता-अधिकारियों से अब सीबीआई पूछताछ करेगी। ED-EOW ने अधिकारियों और नेताओं पर नहीं की कार्रवाई अब तक की जांच में पुलिस, ईओडब्ल्यू और प्रवर्तन निदेशालय ने पैनल ऑपरेटर, सट्टा एक के लिए हवाला कारोबारी और पुलिस विभाग के कुछ छोड़े कर्मचारियों पर ही पैसा निवेश करने वालों को गिरफ्तार किया है। लेकिन केस डायरी में दर्ज बड़े नेता और अफसर तक दोनों ही एजेंसी की ओर से कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में अब जिन नेता और अधिकारियों के नाम है चार्टशीट में शामिल है और जिनके खिलाफ FIR की गई है। उनसे CBI के अधिकारी पूछताछ करेंगे। प्रोटेक्शन मनी के नाम पर बड़ी रकम दी गई आरोप है कि पिछली सरकार के प्रभावशाली अधिकारी और नेताओं को सट्टा बिना किसी रुकावट चलाने के लिए सिक्योरिटी मनी के तौर पर हर माह 1 करोड़ रुपए दिया जा रहा था। सट्टेबाजी एप के एक प्रमोटर ने दुबई से वीडियो जारी कर खुद इसका दावा किया था। आईटी के छापे और ईडी की रिपोर्ट में भी ये तथ्य सामने आ चुका है, लेकिन गिरफ्तारी किसी की नहीं गई है। इसलिए सरकार ने सीबीआई जांच का फैसला लिया है। ईडी ने चार्जशीट में रसूखदारों के नाम लिखकर जांच रोकी ईडी ने 2022 में ईसीआईआर दर्ज किया था। इसमें सट्टेबाजी के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल, शुभम सोनी, अतुल अग्रवाल को आरोपी बनाया गया। जांच शुरू की गई। ईडी ने सिपाही, एएसआई रैंक के पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार किया है। इसके बाद हवाला कारोबारी, निवेशक को गिरफ्तार किया है। इस दौरान बड़े अधिकारियों व नेताओं के नाम सामने आए लेकिन गिरफ्तार नहीं किया गया। चार्जशीट में जरूर कई नेताओं, तीन ओएसडी, आईजी रैंक के दो अधिकारी, एसएसपी, एएसपी, टीआई रैंक के अधिकारी और विधायक का जिक्र किया। लेकिन कभी इनके घर पर छापा नहीं मारा। ईडी की जांच यहीं रूक गई। ईओडब्ल्यू की कार्रवाई सिपाही-हवलदार तक ही राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद ईओडब्ल्यू ने 4 मार्च 2024 को महादेव सट्टे में हवाला और मनी लॉड्रिंग मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की। ईओडब्ल्यू ने 19 लोगों पर नामजद एफआईआर की। कई नेताओं, पुलिस अधिकारी, ब्यूरोक्रेट्स को भी आरोप बनाया है, लेकिन उनके नाम का कहीं उल्लेख नहीं किया है। ईओडब्ल्यू की कार्रवाई सिपाही और कुछ पैनल ऑपरेटर तक सिमटी रही। इसलिए अब इसे सीबीआई के हवाले किया जा रहा है। कई अफसरों को 35 लाख महीना पहुंचाने का आरोप जेल में बंद एएसआई चंद्रभूषण वर्मा ने ईडी को पूछताछ में कई चौंकाने वाले बयान दिए हैं। उसने कबूला कि तीन ओएसडी को हर माह 35-35 लाख पहुंचाता था। राज्य सरकार के एक सचिव को हर माह एक करोड़ जाता था। दुर्ग के दो कारोबारियों को एक-एक करोड़ मिलता था। एएसआई का आरोप है कि आईजी रैंक के अफसरों को 20-20 लाख, एसपी को 10-10 लाख और रायपुर-दुर्ग के एएसपी रैंक के अधिकारियों को 35-35 लाख महीना पैसा दिया गया है पर जांच आगे नहीं बढ़ी। 2300 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच ईडी ने महादेव सट्टा मामले में अब तक 2296 करोड़ की संपत्ति अटैच की है। इसमें 19.36 करोड़ कैश, 16.68 करोड़ के जेवर हैं। बाकी प्रॉपर्टी हैं। ईडी ने 11 लोगांे की गिरफ्तारी की है। जबकि ईओडब्ल्यू ने 14 लोगों की गिरफ्तारी की है। जूस सेंटर से करोड़ों के असामी बने दो दोस्त दुर्ग में जूस सेंटर चलाने वाले सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल ने लॉकडाउन के समय 2020 में महादेव सट्टा एप शुरू किया। इसमें शुभम सोनी, कारोबारी अतुल अग्रवाल समेत अन्य लोग जुड़े। आरोपियों ने सट्टेबाजी से 10 हजार करोड़ से ज्यादा की आय अर्जित की है। उसके बाद सभी दुबई भाग गए। दुबई से अभी यह ऑपरेट हो रहा है।