राज्य में पिछले साल कांग्रेस की सरकार बदलते ही राजधानी रायपुर के मास्टर प्लान को लेकर बड़ा खुलासा हुआ। मास्टर प्लान की प्रारंभिक जांच में पता चला कि ग्रीन लैंड को आवासीय और कृषि जमीन को कमर्शियल में बदल दिया गया। डेढ़ दर्जन से ज्यादा तालाबों का उपयोग भी बदला गया है। तालाबों की जमीन पर बनाए गए मकानों को वैध कर दिया गया है। स्कूल की जमीन को मिश्रित लैंड यूज में बदला गया है। कई बड़े रसूखदारों को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया है। इस तरह की कई गड़बड़ी सामने आने के बाद जांच कराने अफसरों की कमेटी बनाई गई। कमेटी ने करीब दस महीने जांच की। 2 महीने माह पहले रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट में भी खुलासा हुआ कि कई प्राइम लोकेशन की जमीनों का लैंड यूज बदला गया है। लेकिन अब तक न तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई की गई और न ही प्लान बदलने की प्रक्रिया शुरू की गई। बताया जा रहा है कि प्लान में जो गड़बड़ी मिली है उसमें कई रसूखदार, बिल्डर और राजनेताओं की जमीन है। इसलिए फिलहाल फाइल को आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है। जांच रिपोर्ट के आधार पर गड़बड़ी सुधारनी थी। इसके बाद दावा-आपत्ति मंगाई जाती। ताकि जो संशोधन किए गए हैं उसमें लोगों का पक्ष सुना जा सके। जांच समिति का कहना है रिपोर्ट डायरेक्टर को दे दी है। टाउन प्लानिंग के डायरेक्टर सौरभ कुमार का कहना है रिपोर्ट शासन को दे दी गई है। जिम्मेदार अफसरों को नोटिस तक नहीं गड़बड़ी सामने आने के बाद कहा गया था कि मास्टर प्लान बनाने वाले योजना मंडल में जो अफसर और कर्मचारी शामिल थे उन्हें नोटिस देकर पूछा जाएगा कि ऐसी गड़बड़ी क्यों और किसके कहने पर हुई। योजना दल में तत्कालीन संचालक आईएएस जयप्रकाश मौर्य, अपर संचालक संदीप बागड़े, उपसंचालक भानुप्रताप सिंह पटेल, सहायक संचालक कमला सिंह, गणेशराम तुरकाने, रोजी सिन्हा, मेघा चावड़ा, ऐश्वर्य जायसवाल, चंद्रशेखर जगत और कर्मचारियों में वरिष्ठ शोध सहायक हेमा सिंह, ममता दुबे, सहायक मानचित्रकार विवेक भारती, वरिष्ठ शोध सहायक ललिता अनिल बघेल, वरिष्ठ मानचित्रकार यमुना ध्रुव और उप अभियंता बी केरकेट्टा शामिल थे। आज तक इनमें से किसी भी अफसर या कर्मचारी पर कार्रवाई तो दूर, नोटिस तक नहीं दिया गया है। राजधानी के नए प्लान में प्रमुख गड़बड़ियां जो सामने आईं रसूखदारों की मर्जी से बदला लैंड यूज मास्टर प्लान बनाते समय जिन लोगों की ऊंची एप्रोच थी उनकी मर्जी से जमीन का लैंड यूज बदला गया। यही वजह है कि शहर के बड़े इलाके में लैंडयूज चेंज किया गया। बाकी हिस्से में कोई बदलाव नहीं किया गया। जांच समिति के सदस्यों की माने तो वीआईपी रोड के कुछ हिस्से ऐसे हैं, जहां सड़क के एक किनारे लैंडयूज चेंज हो गया और दूसरी ओर की जमीन के आवेदनों को खारिज कर दिया गया। यानी एक ही सड़क पर दो नियम लागू कर दिए गए। केवल 20 फीट की दूरी पर ही नियम बदल गए। आउटर में कृषि जमीन को आवासीय में बदला गया, जबकि उन जगहों में एप्रोच सड़क ही नहीं है।