भास्कर न्यूज | बालोद स्थित ग्राम नेवारीकला में श्रीमद् भागवत महापुराण के के छठे दिन मंगलवार को पंडित कालेश्वर प्रसाद तिवारी ने श्रीकृष्ण सुदामा चरित्र का वर्णन किया। सुदामा कथा के दौरान महिलाओं ने चावल की पोटली भेंट किया। तिवारी ने बताया कि यदि सुदामा दरिद्र होते तो अन्न के लिए धन की कोई कमी नहीं थी । सुदामा के पास विद्वता थी और धनार्जन तो सुदामा उससे भी कर सकते थे। मगर सुदामा पेट के लिए नहीं बल्कि आत्मा के लिए कर्म कर रहे थे। वे आत्म कल्याण के लिए उधत थे। पत्नी के कहने पर सुदामा का द्वारिका आगमन और प्रभु द्वारा सुदामा के सत्कार पर कहा कि यह व्यक्ति का नहीं व्यक्तित्व का सतकार है, यह चित की नहीं चरित्र की पूजा है। सुदामा की निष्ठा और सुदामा के त्याग का सम्मान है। कथा वाचक तिवारी ने बताया कि मित्रता में बदले की भावना का स्थान नहीं होना चाहिए। पंडित ने कहा कि सुदामा संसार में सबसे अनोखे भक्त रहे हैं। वह जीवन में जितने गरीब नजर आए, उतने वे मन से धनवान थे। उन्होंने अपने सुख व दुखों को भगवान की इच्छा पर सौंप दिया था। जब सुदामा भगवान श्रीकृष्ण ने मिलने आए तो उन्होंने मित्र की भावनाओं को देखा।