भास्कर न्यूज | कवर्धा छत्तीसगढ़ के सभी 47 नगर पालिकाओं में अध्यक्षों का कार्यकाल खत्म हो गया है। वहीं प्रशासकों की नियुक्ति कर दी है। इसे लेकर शुक्रवार को नगरीय प्रशासन विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। जारी आदेश के अनुसार सभी नगर पालिकाओं में एसडीएम (अनुविभागीय अधिकारी राजस्व) को प्रशासक नियुक्त किया गया है। इसी क्रम में नगर पालिका कवर्धा के लिए एडीएम आशीष अनुपम टोप्पो और पंडरिया नपा के लिए भी एसडीएम संदीप ठाकुर को प्रशासक नियुक्त किए हैं। अब इन दोनों नगर पालिका में अफसरों के हाथों में शहर सरकार रहेगी। यही काम-काम देखेंगे और फैसला लेंगे। प्रशासकों की नियुक्ति के साथ ही अब नगर पालिका में अध्यक्ष के पद शक्ति विहीन हो जाएंगे। हालांकि, प्रशासकों की नियुक्त से नगर पालिका के कामकाज पर असर नहीं पड़ेगा। निर्माण कार्यों के लिए नए टेंडर जारी होंगे। सभी काम जारी रहेंगे। नगर पालिका कवर्धा के 92 साल के इतिहास में 17 साल तक प्रशासकों के सहारे कामकाज चला। वर्ष 1969 में पहली बार नपाध्यक्ष की कुर्सी प्रशासक बीएन कारकू के हाथों में आ गई थी। अगले 6 साल तक यानी वर्ष 1975 तक प्रशासक ने कामकाज संभाला। उसके बाद वर्ष 1979 में प्रशासक नियुक्त हुआ, जो 1983 तक रहा। फिर मई 1987 से जनवरी 1995 तक 8 साल अलग-अलग प्रशासकों ने नगर पालिका का काम संभाला। इनमें से कई प्रशासक तो लगातार 3-3 साल तक बने रहे थे। इस दौरान राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव भी हुआ। आजादी से पहले 5 मार्च 1933 को नगर पालिका कवर्धा का गठन हुआ था। शुरुआत वर्षों में अप्रत्यक्ष तरीके से नपाध्यक्ष के चुनाव होते थे, जिसमें कई खामियां दिखीं। इसके चलते वर्ष 1999 में अविभाजित मध्यप्रदेश के तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार ने प्रत्यक्ष प्रणाली से नपाध्यक्ष चुनाव का फैसला लिया था। इसके चलते कवर्धा में जनवरी 2000 को पहली बार कवर्धा नपा में अध्यक्ष पद के लिए प्रत्यक्ष वोटिंग हुई थी, जिसमें आशा तम्बोली अध्यक्ष चुनी गई थी। इसके बाद वर्ष 2005, 2010 और 2015 में भी प्रत्यक्ष तरीके से नपाध्यक्ष का चुनाव हुआ था।

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