रायपुर नगर निगम में करीब 29 साल बाद प्रशासक बैठने वाला है। 1985 से 1995 तक एक दशक तक रायपुर निगम की बागडोर प्रशासकों के हाथों में थी। उसके बाद अब रायपुर कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह बतौर प्रशासक निगम की जिम्मेदारी संभालेंगे। महापौर समेत सभी 70 वार्डों के पार्षदों का कार्यकाल 5 जनवरी को खत्म हो रहा है। पार्षदों को आम लोगों से जुड़े कई काम करने होते हैं। दस्तावेजों का सत्यापन भी करना होता है। कार्यकाल खत्म होने के बाद इस बात को लेकर लोगों के मन में जिज्ञासा है कि राशन कार्ड, आय, जाति समेत अन्य दस्तावेजों में पार्षद सत्यापन कर सकेंगे या नहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही कार्यकाल खत्म हो रहा है, लेकिन नए जनप्रतिनिधि चुनकर आने तक वे निवृत्तमान जनप्रतिनिधि की हैसियत से काम कर सकेंगे। केंद्र, राज्य शासन और नगर निगम से संबंधित कई प्रमाण-पत्रों के लिए वार्ड पार्षदों को सत्यापन करना पड़ता है। इसके लिए बड़ी संख्या में लोग पार्षदों के पास पहुंचते हैं। वे प्रमाणित करते हैं। इसके बाद ही दस्तावेज संबंधित विभागों में जमा होते हैं। अब यह संशय बना हुआ है कि 5 जनवरी को कार्यकाल खत्म होने के बाद पार्षदों की वैधानिक भूमिका रहेगी या नहीं। वे संबंधित दस्तावेजों में सत्यापन करने का अधिकार रखेंगे या नहीं। इस संबंध में जनप्रतिनिधियों का कहना है कि हर पार्षद को रोज ऐसे दर्जनों दस्तावेजों में सत्यापन करना पड़ता है। जाति, निवास, जन्म प्रमाण-पत्र, मृत्यु सूचना, चरित्र प्रमाण-पत्र, फैक्ट्रियों में काम करने वाले लोगों के ईएसआई, आधार और राशन कार्ड के लिए जनप्रतिनिधियों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि वार्ड में उनकी सक्रियता बनी हुई है और कार्यकाल खत्म होने के बाद भी बनी रहेगी। नए पार्षद चुने जाने तक उनकी भूमिका रहेगी। एक्सपर्ट व्यू- जनप्रतिनिधि कर सकेंगे काम
^ कार्यकाल खत्म होने के बाद भी जनप्रतिनिधियों की भूमिका में कोई विशेष फर्क नहीं आएगा। वे भले ही निगम की बैठकों में हिस्सा नहीं ले सकेंगे, लेकिन आम लोगों से जुड़े काम कराने लोग उनके पास जा सकेंगे। पार्षद पूर्व पार्षद की हैसियत से अपना कार्यालय चालू रख सकते हैं। नए जनप्रतिनिधि चुने जाने तक वे काम कर सकेंगे। इस दौरान जरूरी प्रमाणपत्रों और सत्यापन वाले दस्तावेजों में हस्ताक्षर भी कर सकेंगे।
– डॉ. सुशील त्रिवेदी, निर्वाचन मामलों के जानकार