ग्राम डुंडेरा (टप्पा) के पास 452 एकड़ भूमि में 960 करोड़ की लागत से सोलर पॉवर प्लांट बन गया है। आने वाले समय में इसी तरह का पावर प्लांट अन्य जिलों में स्थापित किया जाएगा। राष्ट्रीय प्रौद्योगिक संस्थान रायपुर के प्रोफेसरों की टीम जिले के टप्पा में स्थापित प्रदेश के पहले और सबसे बड़े सोलर पॉवर प्लांट का रिसर्च करने पहुंची। छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक भीम सिंह कंवर के नेतृत्व में राष्ट्रीय एक्सपर्ट की टीम ने निरीक्षण किया। यहां 452 एकड़ के भू-भाग में 960 करोड़ की लागत वाले पॉवर प्लांट का निरीक्षण कर उपकरणों की क्षमता और तकनीक को बारीकी से परखा। पॉवर कंपनी के अफसरों ने बताया अन्य जिलों में ऐसे बड़े सोलर पॉवर प्लांट स्थापना की प्लानिंग है। वृहद स्तर पर कार्य योजना पर प्रबंधकीय कार्य का रिसर्च करने टीम पहुंची थी। ऑन ग्रिड सोलर पावर प्लांट स्थापना का कार्य सोलर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) एवं छत्तीसगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को सौंपा गया था। कंपनी ने 1 फरवरी 2024 को संयंत्र स्थापना कार्य पूर्ण कर कार्यशील किया। यह देश का पहला ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम है, जिसमें 100 मेगावॉट का सोलर संयंत्र स्थापित है। इसमें 660 वॉट क्षमता वाले कुल 2 लाख 39 हजार बाई फेसियल सोलर पैनल स्थापित किए हैं। लागत 960 करोड़ रुपए पांच लाख यूनिट उत्पादन इस परियोजना की कुल लागत 960 करोड़ रुपए हैं, जो सौर उर्जा से बिजली उत्पादन कर आगामी सात वर्षों तक प्राप्त होगी। प्रतिदिन लगभग 5 लाख यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। जिससे लगभग 4.5 लाख मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन में भी भारी कमी आई है। हरित ऊर्जा को प्रोत्साहन मिल रहा है। सौर ऊर्जा क्षेत्र में यह परियोजना देश एवं प्रदेश में उत्कृष्ट मॉडल के रूप में देखा जाएगा। साथ ही प्रदेश में ऐसी अनेक परियोजनाओं पर क्रेडा विभाग के द्वारा कार्य किया जा रहा है। दो चरणों में सोलर पार्क की स्थापना का काम पूरा सोलर पार्क स्थापना के प्रथम चरण में 5 गांव के (16 खसरे) कुल 181.206 हेक्टेयर शासकीय भूमि का सर्वे कर आबंटन प्राप्त किया गया। इनमें प्रमुखतः ग्राम ढाबा, कोहका, रेंगाकठेरा, डुंडेरा, अमलीडीह तहसील व डोंगरगांव सम्मिलित थे तथा द्वितीय चरण में 4 गांव के 196-217 हेक्टेयर शासकीय भूमि का सर्वे कर आबंटन प्राप्त किया गया। इनमें प्रमुखतः ग्राम ओडारबंध, गिरगांव, टोलागांव, घुघुवा तहसील डोंगरगांव शामिल थे। प्रशासन के प्रयास से बाद में अन्य गांवों की भूमि इसमें शामिल की गई।