सीमेंट की कीमत को लेकर राजधानी समेत राज्यभर में एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है। पिछले एक हफ्ते में सीमेंट की कीमत 30 रुपए तक बढ़ गई है। रविवार को खुले बाजार में सीमेंट 320 से 330 रुपए में ​बिकी। थोक में यही कीमत 280 से 300 रुपए तक है। यानी एक साथ बड़ी संख्या में सीमेंट लेने पर भी लोगों को राहत नहीं मिल रही है। सीमेंट कंपनियों का कहना है​ कि ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा बढ़ने की वजह से सीमेंट की कीमत बढ़ानी पड़ रही है। अभी मध्यप्रदेश और झारखंड से ज्यादा महंगी सीमेंट छत्तीसगढ़ में ​बिक रही है। बड़े राज्यों में सीमेंट की कीमत कम कर दी गई है, लेकिन छत्तीसगढ़ में कीमत बढ़ती ही जा रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि राज्य सरकार का भी इस पर कोई नियंत्रण नहीं है। बार-बार की चेतावनी के बावजूद कंपनी वाले बेखौफ होकर कीमत बढ़ा रहे हैं। वित्तीय साल की शुरुआत में यानी अप्रैल से ही सीमेंट की कीमत बढ़ती आ रही है। शुरुआत में एक साथ 50 रुपए कीमत बढ़ाने पर जमकर विवाद हुआ। इतना ही नहीं बारिश के सीजन में जब डिमांड आधे से भी कम हो गई थी उस समय भी कीमत बढ़ा दी गई। सितंबर के पहले हफ्ते से लोगों को सीमेंट 50 रुपए बोरी तक महंगा मिलता रहा। बढ़ती कीमत का लगातार विरोध होने के बाद कीमत अक्टूबर में 20 से 30 रुपए तक घटाई गई। लेकिन अब दिसंबर के पहले हफ्ते से कीमत फिर बढ़ती ही जा रही है। सीमेंट की कीमत बढ़ाने का विरोध एक बार फिर शुरू हो गया है।
कांग्रेस ने राज्यभर में सीमेंट कंपनियों और राज्य सरकार के खिलाफ बड़े प्रदर्शन की चेतावनी दी है। सरकारी निर्माण पर भी असर ठेकेदारों ने काम धीमा किया
सीमेंट की बढ़ी हुई कीमत का असर सरकारी निर्माण कार्यों पर भी हो रहा है। दरअसल ठेकेदारों का कहना है कि उन्होंने जब टेंडर लिया था उस समय सीमेंट की कीमत 50 रुपए प्रति बोरी कम थी। अब लगातार कीमत बढ़ाई जा रही है। इससे निर्माण की लागत बढ़ गई है। किसी भी कंस्ट्रक्शन साइट में सीमेंट का बड़ी मात्रा में लगना तय रहता है। ऐसे में पुरानी कीमत ​में काम किया गया तो बड़ा नुकसान होगा। इसलिए ठेकेदारों ने फिलहाल काम धीमा कर दिया है। पिछले एक महीने से सरकारी काम में कोई तेजी नहीं आ रही है। खपत कम, इसलिए भी बढ़ा रहे हैं कीमत : प्रदेश में हर महीने करीब 30 से 32 लाख टन सीमेंट का प्रोडक्शन होता है, लेकिन मध्यप्रदेश, ओडिशा, झारखंड, उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल में ज्यादा सप्लाई होने की वजह से वहां कीमत 300 रुपए से कम है। वहां चिल्हर बाजार में सीमेंट 250 से 260 रुपए तक में बेचा जा रहा है। लेकिन छत्तीसगढ़ में सप्लाई शॉर्ट कर कंपनियां कीमत बढ़ा देती है। थोड़ा दबाव बढ़ने पर हवाला दिया जाता है कि छत्तीसगढ़ में 10 लाख टन के आसपास ही खपत होती है। इसलिए बाकी स्टॉक दूसरे राज्यों में भेजा जा रहा है।

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