भास्कर न्यूज | धमतरी महात्मा गांधी के नेतृत्व में नहर सत्याग्रह आंदोलन के 104 साल पूरा होने पर कंडेल में बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। ज्ञात हो कि अंग्रेजी हुकूमत द्वारा पानी चोरी का आरोप लगाकर किसानों के मवेशियों को जुर्माने के तौर पर जब्त किया था। इसके खिलाफ गांव में नहर सत्याग्रह आंदोलन छेड़ दिया गया। इस आंदोलन को समर्थन देने महात्मा गांधी कंडेल ट्रेन से धमतरी आए थे। जिले के गौरव ग्राम कंडेल में 21 दिसंबर को नहर सत्याग्रह स्मृति दिवस मनाया। इस मौके पर स्कूली बच्चों व ग्रामीणों ने नहर सत्याग्रह स्थल पहुंचकर 104 साल पुराने घटित नहर सत्याग्रह आंदोलन की स्मृतियों को याद किया। कार्यक्रम में किसान नेता लीलाराम साहू तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के प्रपौत्र यतीश भूषण श्रीवास्तव ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत कंडेल नहर सत्याग्रह से हुई थी। इस आंदोलन का छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक विशेष स्थान है। यह आंदोलन 1920 में जुलाई से दिसम्बर के बीच वर्तमान धमतरी जिले के कंडेल ग्राम में हुआ। इसका नेतृत्व बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव, पंडित सुंदरलाल शर्मा तथा नारायणराव मेघावाले ने किया। यह आंदोलन किसानों के प्रति हो रहे सामाजिक अन्याय के कारण हुआ था और इस किसान क्रांति ने राष्ट्रीय आंदोलन का रूप ले लिया। लगाया था भारी भरकम जुर्माना: ग्रामीण मुरहाराम कमलवंशी ने कहा कि महानदी के किनारे 2 जगह पर ब्रिटिश सरकार ने रुद्री और माडमसिल्ली नाम से 2 नहरें बनाई थीं। अगस्त-1920 में कंडेल गांव को समझौते के तहत लाने के लिए सरकार ने गांव वालों के खिलाफ पानी चोरी का आरोप लगाते हुए 4033 रुपए का वारंट जारी किया। जुर्माना लगाया। गांव वालों ने सत्याग्रह करके विद्रोह कर दिया। गांव वालों ने ब्रिटिश सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। समर्थन देने 21 दिसंबर 1920 को महात्मा गांधी कंडेल-धमतरी आए थे। स्मृति दिवस कार्यक्रम में कामता प्रसाद मछेन्द्र, राधेश्याम साहू, रामकरण मच्छेन्द्र, मनोज सोनवानी, कोमेन्द्र साहू, यतीराम साहू, लीलाराम साहू, विशाल, मानसिंग निर्मल, पुनीत साहू, देवनारायण साहू समेत स्कूली बच्चे व ग्रामवासी मौजूद रहे।