सरकारी दवा उपकरण क्रेता कंपनी सीजीएमएससी में सीटी स्कैनर मशीन की खरीदी में बड़ी गड़बड़ी सामने आ रही है। दरअसल, 128 स्लाइस की जो मेड इन जर्मनी मशीन दैनिक भास्कर को बाजार में न्यूनतम 4.5 करोड़ और अधिकतम 6.7 करोड़ रुपए में मिल रही है। उसी को सीजीएमएससी 11.48 करोड़ में ले रहा है। यानी करीब साढ़े 6.8 करोड़ रुपए तक ज्यादा चुका रहा है। इसके लिए रेट कांट्रेक्ट वर्क ऑर्डर जैसी प्रक्रियाएं हो चुकी हैं। 10 जिलों के लिए इसी कंपनी की 32 स्लाइस सीटी स्कैनर 10 मशीनों के लिए करीब 15 करोड़ रुपए अधिक चुकाकर खरीद की जा रही है। इन मशीनों की खरीद में 21 करोड़ रुपए से अधिक चुकाए जा रहे हैं। पहले भी सीजीएमएससी में बाजार मूल्य से अधिक दाम पर दवा उपकरण खरीदी के नाम पर करीब 55 करोड़ से अधिक रुपए का गोलमाल हो चुका है। इस पर महालेखाकार (सीएजी) ने आपत्ति जताई थी।
भास्कर टीम ने जब पड़ताल की तो कई परतें उजागर हुईं।। पड़ताल में पता चला कि सीजीएमएसी ने इस मशीन के लिए 5 साल की वारंटी, मशीन लगाने के सिविल वर्क सहित 11.48 करोड़ रुपए में टेंडर फाइनल किया है। भास्कर ने बाजार से इस कंपनी और अन्य की मशीन का कोटेशन मंगाया। यह 4.5 करोड़ से 7 करोड़ रुपए में आ रही है। ऐसे ही 32 स्लाइस की सीटी स्कैन सीजीएमएससी 4.49 करोड़ में खरीद रहा है। वो भी बाजार में 2.5- 3 करोड़ में मिल रही है।
सीजीएमएससी के बड़े घोटोले जिन पर सीएजी ने जताई आपत्ति
जुलाई 2024 में सीएजी ने स्वास्थ्य विभाग पर एक रिपोर्ट पेश की है। इसमें सीजीएमएससी में दवा उपकरणों की खरीद में गड़बड़ी पर आपत्तियां जताई गई है। 2016-17 से 2021-22 के बीच हुए कुछ बड़े मामले – 1. 31.83 करोड़ अधिक मूल्य पर उपकरणों की खरीद
2. 56.7 लाख रुपए अधिक मूल्य पर हार्ट एंड लंग्स मशीन की खरीद
3. 22.54 करोड़ रुपए अधिक मूल्य पर उपकरण खरीदी भास्कर ने जुटाए कोटेशन – प्रॉक्सी लैब से उसी मशीन का रेट मंगाया भास्कर ने एक प्रॉक्सी अस्पताल और लैब बनकर विभिन्न एजेंसियों से मेड इन जर्मनी समेत अन्य कंपनियों के सीटी स्कैनर मशीन के लिए बाजार में डिमांड फ्लोट की। हमें एजेंसियों ने पांच साल की वारंटी और सिविल वर्क समेत मशीन की कीमत साढ़े 4 करोड़ से 6.7 करोड़ रुपए पेशकश की। यही नहीं मेड इन जर्मनी कंपनी की एआई फीचर वाली सबसे लेटेस्ट 300 स्लाइस का मॉडल 7 करोड़ में देने की बात भी की। हमें 32, 40 और 60 स्लाइस मशीन 3 करोड़ रु. तक में देने का प्रस्ताव भी मिला। पिछले साल सीटी स्कैनर का टेंडर निकाला, जो रद्द हो गया। इस साल मार्च में दोबारा टेंडर निकाला गया। इसमें कुछ एजेंसियों ने प्रजेंटेशन दिया, लेकिन अफसरों का रुझान केवल एक एजेंसी पर ही रहा। इस तरह सिंगल बिडिंग के आधार पर ये फाइनल हो गया। एक ही विकल्प था, उसे ही चुना राजनांदगांव के लिए सीटी स्कैनर मशीन खरीदी बहुत जरूरी थी। टेंडर प्रक्रिया में कोई दूसरी एजेंसी आई ही नहीं। ऐसे में हमें जो उपलब्ध विकल्प मिला, हमने उसी से करार किया है। -पद्ममिनी भोई साहू, आईएएस, एमडी, सीजीएमएससी
