छत्तीसगढ़ के दूसरे सबसे बड़े शहर बिलासपुर में नगर निगम चुनाव के लिए वार्डों का आरक्षण तय हो गया है। इस बार कई नेता अपने वार्ड से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। भाजपा-कांग्रेस की राजनीतिक समीकरण बदल गया है। इसमें कांग्रेस के सभापति शेख नजीरुद्दीन और बीजेपी के उपनेता प्रतिपक्ष राजेश सिंह के सपनों पर पानी फिर गया है। दरअसल, कहीं, अनारक्षित महिला तो कहीं पिछड़ा वर्ग महिला और दूसरे वर्ग के लिए वार्ड आरक्षित हो गया है। ऐसे में इन सीनियर नेताओं को नए वार्ड में संभावनाएं तलाशनी पड़ेगी। आरक्षण के बाद नगर निगम में किस तरह से समीकरण बिगड़ गया है…पढ़िए ये खास रिपोर्ट…. चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाने वाले इन नेताओं को या तो दूसरे वार्ड के लिए टिकट के लिए जद्दोजहद करनी पड़ेगी या फिर सुरक्षित वार्ड में अपनी अपनी पत्नी या रिश्तेदारों को टिकट दिलाने के लिए कोशिश करनी होगी। वहीं, कई वार्ड सुरक्षित होने से अपने करीबियों को टिकट दिलाने का प्रयास होगा। भाजपा-कांग्रेस में नए नेताओं की होगी एंट्री वार्ड आरक्षण के बाद अब यह भी माना जा रहा है कि सीनियर नेताओं की जगह उस वार्ड के दूसरे वर्ग के भाजपा-कांग्रेस के नेताओं को मौका मिलेगा और उनकी नगर निगम में एंट्री होगी। नगर निगम की राजनीति में नए चेहरों की एंट्री के बाद उस वार्ड के सीनियर भाजपा और कांग्रेस नेताओं को अपने भविष्य पर खतरा नजर आने लगा है। सभापति से लेकर नेता प्रतिपक्ष सहित कई नेताओं के वार्डों का बिगड़ा समीकरण आरक्षण प्रक्रिया के बाद कांग्रेस के सीनियर नेता और सभापति शेख नजीरुद्दीन, रामा बघेल, रविंद्र सिंह, राजेश शुक्ला, मनीष गढ़ेवाल, भास्कर यादव, सुरेश टंडन और रवि साहू का वार्ड महिला या फिर अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित हो गया है। वहीं, भाजपा पार्षद व निगम के नेता प्रतिपक्ष अशोक विधानी, उपनेता प्रतिपक्ष राजेश सिंह, महेश चंद्रिकापुरे, दुर्गा सोनी, बंधु मौर्य और श्याम साहू जैसे सीनियर पार्षदों का वार्ड सामान्य या अन्य वर्गों के लिए आरक्षित हो गया है। इस स्थिति में अब इन दिग्गजों के सामने चुनौती है कि वे अपने वार्ड बदलें या परिवार के सदस्यों को मैदान में उतारें। सीनियर नेताओं के भविष्य पर खतरा, नए के लिए अवसर आरक्षण के चलते कई बड़े नेताओं को अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता सताने लगी है। हालांकि, अभी उनके लिए विकल्प है कि वो अपने रिश्तेदारों को टिकट दिला सके। वहीं, नए चेहरों के लिए यह चुनाव नया अवसर बन सकता है। इसके लिए उन्हें वार्डों में जाकर अभी मेहनत करने का समय है। फिलहाल, वार्ड आरक्षण के बाद बदले हुए समीकरण में इस बार चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो सकता है। महापौर बोले- वार्ड बदलने का असर नहीं कांग्रेस नेता और मेयर रामशरण यादव ने कहा कि सीनियर नेताओं के वार्ड बदलने से कोई विशेष अंतर नहीं होगा। कई ऐसे नेता हैं, जो अलग-अलग वार्डों से चुनाव लड़े और जीत हासिल की है, जो लोग लंबे समय से नगर निगम में काम कर रहे हैं, उनको वार्ड बदलने से फर्क नहीं पड़ता। जनता उन्हें जानती है और स्वीकार करती है। साथ ही चुनाव जीता कर भेजती है। मैं खुद कई वार्डों से चुनाव लड़ा और जीता भी। चुनाव के लिए कांग्रेस की पूरी तैयारी में है। पार्टी अच्छी स्थिति में है। संगठन के पदाधिकारी लगातार काम कर रहे हैं और बैठकें भी चल रही है। सब मिल जुलकर एक अच्छे वातावरण में चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे। सभापति ने कहा- आरक्षण में दिखा भाजपा का षडयंत्र इधर, आरक्षण में हुए फेरबदल पर नेता प्रतिपक्ष शेख नजीरुद्दीन ने इसे भाजपा का षडयंत्र बताया है और कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा और कांग्रेस पार्टी बहुमत से जीत दर्ज करेगी। आरक्षण के बहाने भाजपा ने षडयंत्र के तहत कांग्रेस के सीनियर नेताओं की सीट को आरक्षित किया है। हालांकि, कांग्रेस के नेताओं पर इसका असर नहीं होगा, क्योंकि वो लोग जनता की सेवा करने के लिए चुनाव लड़ते हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि हम नहीं रहेंगे तो हमारा प्रतिनिधि निगम में जरूर रहेगा। उनका इशारा अपने रिश्तेदारों को टिकट दिलाने की तरफ है। भाजपा में कार्यकर्ताओं की फौज, जिसे मौका मिलेगा वो मैदान में होंगे भाजपा नेता और उपनेता प्रतिपक्ष राजेश सिंह का कहना है कि भाजपा में आरक्षण रोस्टर के अनुसार कार्यकर्ताओं को मौका दिया जाता है। पार्टी में कार्यकर्ताओं की फौज है। वार्ड सामान्य होने पर पार्टी सामान्य प्रत्याशी उतारती है। इसी तरह दूसरे वर्ग से प्रत्याशी खड़ा किया जाता है। इसमें किसी को कोई संसय नहीं है। हम मिल जुलकर काम करते हैं। हमारी तैयारी हर वर्ष और हर माह रहती है। हम निरंतर काम करने वाले संगठन से हैं। चाहे लोकसभा हो या फिर विधानसभा या नगर निगम। कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि, हम जनता के बीच जाकर काम करते है। प्रदेश में डबल इंजन की सरकार है। अगर, तीसरा इंजन नगर निगम का इंजन जरूर जुड़ेगा और हम बहुमत से जीतेंगे। बिलासपुर नगर निगम आरक्षण और सीटों का नया समीकरण
भाजपा पार्षदों की स्थिति कांग्रेस पार्षदों की स्थिति
