सुर-ताल, छंद और घुंघरू के 39 बरस के अवसर पर चक्रधर समारोह में दूसरे दिन दिल्ली, कलकत्ता और रायपुर से आए कलाकारों के द्वारा प्रस्तुत कथक और ओडिसी नृत्यों ने दर्शकों मंत्रमुग्ध कर दिया। ओडिसी नृत्य की प्रसिद्ध कलाकार डॉ.पूर्णाश्री राउत और पद्मश्री रंजना गौहर एवं कथक नृत्यांगना सुश्री दीपान्निता सरकार ने अपनी शानदार प्रस्तुति दी। इन कलाकारों के भाव भंगिमा ने सब का मन मोह लिया।
प्रसिद्ध ओडिसी नर्तक डॉ.पूर्णाश्री राउत ने भगवान जगन्नाथ को समर्पित धार्मिक पूजा गीत को ओडिसी नृत्य के माध्यम से प्रस्तुति दी। दर्शकगण भगवान जगन्नाथ के धार्मिक गीत आराधना देख भक्तिमय माहौल में डूब गए। उनके भाव भंगिमा युक्त ओडिसी नृत्य ने दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया। दिल्ली से पहुंची लखनऊ घराने कथक नृत्यांगना सुश्री दीपान्निता सरकार और जयपुर घराने के कलाकार सौरभ ने लखनऊ और जयपुर घराने के कथक की बेजोड़ संगम की प्रस्तुति दी। प्रस्तुति में हारमोनियम बांसुरी, तबले और पखावज के साथ नर्तकों की संगत देखते ही बनती थी।
दिल्ली की सुश्री ए.मंदाकिनी स्वैन ने चक्रधर समारोह में राग जोश शैली से साजना मोरा घर आवै गाकर सब का मन मोह लिया। इसके साथ ही उन्होंने श्याम कल्याण की भी प्रस्तुति दी। कोलकाता से पहुंचे प्रसिद्ध सरोद वादक सौगत गांगुली की शानदार प्रस्तुति में पारंपरिकता और आधुनिकता का संपूर्ण संगम दिखा। सरोद की तरल ध्वनि जब तबले की थाप के साथ संगत से संगीत की गहराई, सूक्ष्मता और भावनात्मकता का अद्वितीय मेल देखने को मिला। दिल्ली की पद्मश्री रंजना गौहर ने ओडिसी नृत्य के माध्यम से कबीर का जीवन यात्रा को जीवांत कर दिया। रहस्यवादी कवि कबीर के जीवन के अलग-अलग पड़ावों, उनकी सीख और अनुभवों को साथी कलाकारों नृत्य मुद्राओं से रोचक तरीके से प्रस्तुत किया। प्रस्तुति के दौरान कबीर के दोहों और भजन पर सुरमयी और लयबद्ध प्रस्तुति भी दी गई।
चक्रधर समारोह में लोक गायक श्री विजय शर्मा एवं टीम के छत्तीसगढ़ी गानों से दर्शकों का दिल जीत लिया। उनके द्वारा गाए कोरी-कोरी नारियल चढ़े, महुआ झरे गानों पर दर्शक झूम उठे। भोपाल की शास्त्रीय गायिका सुश्री वाणी राव ने अपने मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति दी।