हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्‍ण को जगतपिता नारायण का दर्जा दिया गया, लड्डू गोपाल भगवान श्री कृष्‍ण के बाल स्‍वरूप को कहा गया है। इसलिए जिनके घर में लड्डू गोपाल होते हैं, उन्‍हें उनकी सेवा भी छोटे बच्‍चे के जैसे ही करनी होती है शास्‍त्रों में लड्डू गोपाल को छप्‍पन भोग लगाने की बात लिखी है। मगर हर रोज यह संभव नहीं है। किसी के घर में एक दिन में छप्‍पन प्रकार के व्‍यंजन नहीं बन सकते हैं। मगर लड्डू गोपाल को नियमित रूप से दिन में 4 बार भोग जरूर लगाना चाहिए।

सबसे पहला भोग:

लड्डू गोपाल को सबसे पहला भोग सुबह उठते ही लगाएं। सुबह उठने का मतलब ब्रह्म मुहूर्त नहीं है। आप आराम से 6 से 7 के बीच में उठ कर बिना स्‍नान किए ही लड्डू गोपाल को पहला भोग लगा सकती हैं। इस भोग में उन्‍हें दूध पिलाएं। लड्डू गोपाल को दूध का भोग लगाने से पूर्व घंटी बजा कर उठाएं। उठाने के बाद उन्‍हें चम्‍मच से दूध पिलाएं। आप 10 मिनट के लिए दूध का ग्‍लास लड्डू गोपाल के पास ही रख दें। जिस दूध का प्रसाद चढ़ाया था उसी दूध का इस्‍तेमाल आप अपनी चाय बनाने में कर सकती हैं।

दूसरा भोग:

लड्डू गोपाल को दूसरा भोग उन्‍हें स्‍नान कराने के बाद ही लगाएं। इसके लिए पहले खुद भी स्‍नान कर लें। लड्डू गोपाल को स्‍नान कराने के बाद उन्‍हें भोग में दही जरूर चढ़ाएं।  दही, मक्‍खन-मिश्री और लड्डू श्री कृष्‍ण को अति प्रिय हैं। अगर आप इनका भोग श्री कृष्‍ण को चढ़ाती हैं तो आपको उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्‍त होगा। लड्डू गोपाल को दही का प्रसाद नियमित रूप से जरूर चढ़ाएं, मगर इसके साथ ही सीजनल फलों का प्रसाद भी जरूर चढ़ाएं।

दोपहर का भोग:

दोपहर में आप लड्डू गोपाल को भोग में वह सब कुछ चढ़ा सकती हैं, जो आपके घर पर बना है। बस आपके भोजन में प्‍याज और लहसुन नहीं होना चाहिए। अगर आप प्‍याज लहसून खाती हैं तो लड्डू गोपाल के लिए अलग से भोग तैयार करने की जगह केवल एक मीठा पराठा बना लें।

शाम और रात का भोग:

शाम को लड्डू गोपाल को पापड़-चिप्‍स या फिर मखाने का प्रसाद चढ़ाएं। वहीं रात में आप जो भोजन कर रही हों वहीं लड्डू गोपाल को भी चढ़ा दें। रात में लड्डू गोपाल को सुलाने से पूर्व आपको उन्‍हें दूध देना है।

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