NDTV से डॉ. तन्मय मोतीवाला ने कहा, “मेरी एक जूनियर हाल ही में मां बनी है. वह एग्जाम के लिए अपने बच्चे और परिवार के साथ 200 किलोमीटर की यात्रा करके आई थी. लेकिन सारी कोशिशें बेकार गईं. एग्जाम पोस्टपोन हो गया.” डॉ. इशिका डोगरा कहती हैं, “मेरी सारी कोशिशें बेकार हो गई हैं. पढ़ाई के लिए मैंने इतनी मेहनत की थी. सब गड़बड़ हो गया. ये एजेंसी का सबसे बड़ा फेल्योर है.”
डॉ. चित्रांश दुबे कहते हैं, “मैं और मेरी बहन एग्जाम सेंटर तक पहुंचने के लिए 200 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा करके आई थीं. एग्जाम शुरू होने के 9 घंटे पहले पता चला कि पेपर पोस्टपोन हो गया है. ये एजुकेशन सिस्टम की बड़ी खामी है.”