हनुमान को राज मिलने में लग गए 4 साल
साल 2020 में चिराग की जिंदगी में आया तूफान 4 साल तक चलता रहा है. परिवार, पार्टी में टूट चुनाव आयोग से लेकर अदालत तक पहुंचा. इस दौरान चिराग ने बिहार में अलग-अलग जगह पहुंच कर अपने संगठन को भी खड़ा किया. नई टीम बनायी गयी. इस दौरान एक ही बात तय दिखा वो था नरेंद्र मोदी के प्रति विश्वास जो चिराग पासवान लगातार मंचों से दिखाते रहें. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भी तमाम अटकलें लगायी जा रही थी. चाचा पशुपति पारस किसी भी हालत में हाजीपुर सीट को नहीं छोड़ना चाहते थे. फिर सीटों को लेकर भी तनाव देखने को मिला. नीतीश कुमार से रिश्ते को लेकर भी मीडिया में खबरें लगातार चलती रही. लेकिन अंतत: चिराग पासवान की पार्टी के प्रचार में नीतीश कुमार भी पहुंचे पीएम मोदी ने कई सभाओं को संबोधित किया.
राजनीतिक तौर पर चिराग पासवान अब हुए बेहद मजबूत
18 वीं लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद चिराग पासवान की राजनीति एक बार फिर चमक गयी है. उनके पास 5 सांसद हैं. साथ ही रामविलास पासवान के दौर से यह माना जाता रहा है कि लोजपा ही बिहार की एकमात्र पार्टी है जो किसी भी गठबंधन के पक्ष में वोट ट्रांसफर करवा सकती है. रामविलास पासवान और चिराग पासवान की राजनीति की यह खासियत रही है कि उनके रिश्ते विपक्ष के नेताओं से भी हमेशा अच्छे रहे हैं. बिहार में लालू परिवार के साथ चिराग पासवान के बेहद अच्छे संबंध हैं. ऐसे में आने वाले चुनावों और सरकार में चिराग पासवान की मजबूत उपस्थिति हो सकती है. हनुमान बनकर उनके द्वारा किया गया तपस्या उन्हें अब सत्ता के केंद्र में लेकर आ गया है.