मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार ने कहा कि आरएसएस की शाखाओं में आने से किसी को मनाही नहीं है लेकिन इसके लिए एक शर्त जरूरी है कि वह भारत को अपना राष्ट्र मानता हो.

नई दिल्ली: 

जम्मू-कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के सरकार के फैसले की वैधता को उच्चतम न्यायालय द्वारा बरकरार रखे जाने के एक दिन बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार ने कहा है कि न सिर्फ पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) बल्कि चीन के कब्जे वाला कश्मीर (सीओके) भी भारत में होना चाहिए. पीटीआई-वीडियो को दिए एक साक्षात्कार में इंद्रेश कुमार ने दावा किया कि अब वह दिन दूर नहीं जब देश को इसमें भी सफलता मिलेगी.

उन्होंने कहा, ‘‘अब तो पीओके ही नहीं सीओके भी आना चाहिए. कैलाश मानसरोवर चीन से मुक्त होना चाहिए. लद्दाख का जो बहुत बड़ा भू-भाग, जम्मू-कश्मीर का जो भू-भाग चीन के कब्जे में है, वह भी आना चाहिए.”

उन्होंने कहा, ‘‘वह दिन दूर नहीं है, जब इसमें सफलता मिलेगी.”

चीन के कब्जे वाले कश्मीर (सीओके) में 37,555 वर्ग किलोमीटर अक्साई चीन और 5,180 वर्ग किलोमीटर शक्सगाम और छीना हुआ क्षेत्र शामिल है. इस पर चीन का अवैध कब्जा है. भारत का कहना है कि अक्साई चीन सहित पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है जबकि चीन ने हमेशा दावा किया है कि अक्साई चिन शिनजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र (शिनजियांग उइगुर) है.

इंद्रेश कुमार ने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर के घर-घर और गांव-गांव में आज खुशहाली आई है और वहां एक नए सूर्य का उदय हुआ है.

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में जहां पहले ‘भारत माता की जय’ के नारे तक नहीं लगाए जाते थे आज वहां न सिर्फ यह नारा लगता है बल्कि ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा’ भी गुनगुनाया जाता है.

उच्चतम न्यायालय ने पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के केंद्र के फैसले को सोमवार को बरकरार रखा. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को ही संसद में जम्मू-कश्मीर से संबंधित दो विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए था कि पीओके भारत का अभिन्न अंग है और कोई भी इसे छीन नहीं सकता.

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार ने कहा कि आरएसएस की शाखाओं में आने से किसी को मनाही नहीं है लेकिन इसके लिए एक शर्त जरूरी है कि वह भारत को अपना राष्ट्र मानता हो.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘हमने किसी को रोका नहीं है. किसी पर प्रतिबंध नहीं है। वह किसी जाति धर्म या संप्रदाय के हों, जो भारत को अपना राष्ट्र मानते हैं और जो भारतीयता में आस्था रखते हैं और जो संविधान को मानते हैं. ऐसा विचार रखने वाला कोई भी व्यक्ति शाखा में आ सकता है.”

उन्होंने कहा कि आज भी संघ की शाखाओं में सैंकड़ों की संख्या में मुस्लिम और ईसाई समुदाय के लोग मिल जाएंगे.

उन्होंने कहा, ‘‘बड़ी संख्या में बौद्ध और जैन तो हैं ही, सिख भी हैं। इसलिए हमने किसी के लिए दरवाजे बंद नहीं किए हैं.”

धर्मांतरण को असंवैधानिक और मानवता के विरूद्ध करार देते हुए आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक ने कहा कि सब धर्मों का सम्मान ही संवैधानिक और मानवीय है.

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