उज्‍जैन दक्षिण से विधायक मोहन यादव ने कहा, “मैं पार्टी का एक छोटा कार्यकर्ता हूं. मैं आप सभी को, राज्य नेतृत्व और केंद्रीय नेतृत्व को धन्यवाद देता हूं. आपके प्रेम और समर्थन से मैं अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की कोशिश करूंगा.”

भोपाल: 

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के निवर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने अपने उत्तराधिकारी “मेहनती दोस्त” मोहन यादव (Mohan Yadav) को बधाई दी है, जिन्हें आज भाजपा ने मुख्‍यमंत्री घोषित किया है. इसके साथ ही पार्टी की जीत के बाद से राज्‍य में मुख्‍यमंत्री को लेकर चल रहा सस्‍पेंस खत्‍म हो गया है. शिवराज सिंह चौहान के स्‍थान पर भाजपा ने ओबीसी के नेता और तीन बार के विधायक यादव को मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के रूप में चुना है.

शिवराज सिंह चौहान की कल्‍याणकारी योजनाओं ने प्रदेश में उनकी पार्टी के लिए महिलाओं के वोट हासिल करने में मदद की है. अपनी एक पोस्‍ट में चौहान ने मोहन यादव पर “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन” के तहत “जन कल्याण के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करने” का विश्वास व्यक्त किया है.

मोहन यादव चौहान के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री थे, उन्‍हें भोपाल में एक महत्वपूर्ण बैठक में मुख्‍यमंत्री के पद के लिए चुना गया.

उज्‍जैन दक्षिण से विधायक मोहन यादव ने कहा, “मैं पार्टी का एक छोटा कार्यकर्ता हूं. मैं आप सभी को, राज्य नेतृत्व और केंद्रीय नेतृत्व को धन्यवाद देता हूं. आपके प्रेम और समर्थन से मैं अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की कोशिश करूंगा.”

मोहन यादव के साथ ही जगदीश देवड़ा और राजेश शुक्ला को उपमुख्‍यमंत्री बनाया जाएगा.

प्रदेश में भाजपा ने 163 सीटों के साथ शानदार जनादेश हासिल किया है, जबकि कांग्रेस 66 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही है.

चौहान की ‘लाडली बहना’ योजना को मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में लाने वाला माना गया है.

भाजपा ने गुरुवार को मध्य प्रदेश के अगले मुख्‍यमंत्री को चुनने के लिए तीन केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की थी, इनमें हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, ओबीसी मोर्चे के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष के लक्ष्‍मण और राष्‍ट्रीय सचिव आशा लाकड़ा शामिल हैं.

2005 के बाद पहली बार केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति 

पार्टी ने राज्य में आखिरी बार 2005 में केंद्रीय पर्यवेक्षक बनाया था, जब पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल गौर ने पद छोड़ा था. इसके बाद नवंबर 2005 में शिवराज सिंह चौहान ने पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. उसके बाद से ही राज्य में कोई केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त नहीं किया गया है. 2008 और 2013 में राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा सत्ता में रही और चौहान मुख्यमंत्री बने रहे.

नए चेहरे को मुख्‍यमंत्री बनाने की पहले से थी चर्चा 

2018 के विधानसभा चुनावों के दौरान अनुभवी नेता कमल नाथ के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ कांग्रेस सत्ता में लौट आई, लेकिन 2020 में तत्कालीन कांग्रेसी ज्योतिरादित्य सिंधिया के 22 वफादार विधायकों के साथ भाजपा के खेमे में चले जाने के बाद राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल मच गई. अल्पमत में आने के बाद कांग्रेस सरकार गिर गई और भाजपा ने सरकार बनाई. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान दोबारा मुख्यमंत्री बने, लेकिन इस बार, पार्टी ने राज्य के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की घोषणा की, जिससे यह चर्चा तेज हो गई कि भाजपा राज्य में एक नया मुख्यमंत्री चेहरा ला सकती है.

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