देश में बारिश अनियमित होने की वजह से महत्वपूर्ण रबी फसलों की बुआई कम हुई, पिछले साल के मुकाबले रबी का रकबा करीब 8.87 लाख हेक्टेयर घटा

नई दिल्ली : 

आने वाले हफ्तों में महंगाई के मोर्चे पर चुनौती बड़ी हो सकती है. कोशिशों के बावजूद दिल्ली के खुदरा बाजार में प्याज और दालों की कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं. उधर बारिश अनियमित होने की वजह से महत्वपूर्ण रबी फसलों की बुआई कम हुई है. देश में रबी फसलें 17 नवंबर, 2023 तक पिछले साल के मुकाबले करीब 8.87 लाख हेक्टेयर कम इलाके में हो पाई हैं. गेहूं और दलहन की फसलों की बुआई में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज़ की गई है.

सरकार की ओर से प्याज के दामों को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है. दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से आए आम लोग कृषि भवन के बाहर एक कतार में खड़े हैं. उन्हें नेफेड की मोबाइल वैन से 25 रुपये प्रति किलो के रियायती रेट पर प्याज मिल रही है.

कोशिशों के बावजूद सप्लाई डिमांड के मुताबिक प्याज सब्जी मंडियों में नहीं पहुंच रही है और खुदरा बाजार में इनकी कीमत ऊंची बनी हुई हैं.

नेफेड की वैन के सामने कतार में लगे करोल बाग निवासी मनोज ने NDTV से कहा, “मेरे घर के पास खुदरा बाजारों में प्याज की कीमत 60-80 रुपये प्रति किलोग्राम बनी हुई है. इसीलिए हम यहां 25 रुपये किलो प्याज खरीदने के लिए 45 मिनट से लाइन में खड़े हैं.”  आम लोगों की मांग है कि NAFED और NCCF को रियायती रेट पर प्याज़ की बिक्री और बढ़ानी चाहिए जिससे ज़्यादा लोग सस्ती प्याज़ खरीद सकें.

पिछले एक महीने में खुदरा बाजार में अरहर, मूंग, चना और उड़द दाल भी महंगी हुई हैं. किराना दुकानदार मोहित गोयल कहते हैं, थोक बाजारों में दाल की उपलब्धता घट गई है, जिस वजह से खुदरा बाजारों में दाल की कीमतों में तेजी आई है.

मोहित गोयल ने NDTV से कहा, “पिछले एक महीने में अलग-अलग तरह की दालें 15% से 20% तक महंगी हुई हैं. पिछले एक महीने में अरहर दाल 140 रुपये/किलो से बढ़कर 160/किलो; मूंग दाल की कीमत 100 रुपये/किलो से बढ़कर 120 रुपये/किलो; चना दाल 70 रुपये/किलो से बढ़कर 85 रुपये/किलो और उड़द दाल 100 रुपये/किलो से बढ़कर 120 रुपये/किलो हो गई है. लोग तीन चार दुकानों में कीमत पता करने के बाद ही अब दाल खरीदते हैं. जो पहले दो किलो खरीदते थे वे अब डेढ़ किलो ही खरीद रहे हैं. बिक्री पर असर पड़ा है.”

प्याज और दाल जैसे आवश्यक खाने पीने के सामान की खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी ऐसे समय पर दर्ज की गई है जब महत्वपूर्ण रबी फसलों की बुआई पिछले साल की तुलना में घट गई है.

कृषि मंत्रालय में फसल प्रभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले 17 नवंबर, 2023 तक महत्वपूर्ण रबी फसलों की बुआई में कुल 8.87 लाख हेक्टेयर की गिरावट दर्ज़ की गई है. 17 नवंबर, 2023 तक लगभग 86.02 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई रिकॉर्ड की गई, जबकि पिछले साल इस अवधि के दौरान 91.02 लाख हेक्टेयर इलाके में गेहूं की बुआई हुई थी. यानी पिछले साल की तुलना में 17 नवंबर, 2023 तक गेहूं की बुआई 5.01 लाख हेक्टेयर कम इलाके में हो पाई.

देश में 17 नवंबर, 2023 तक दलहन फसलों की बुआई लगभग 65.16 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रिकॉर्ड की गई, जबकि पिछले साल इस अवधि के दौरान 69.37 लाख हेक्टेयर इलाके में दलहन फसलों की बुआई हुई थी. यानी पिछले साल की तुलना में 17 नवंबर, 2023 तक दलहन फसलों की बुआई 4.21 लाख हेक्टेयर कम इलाके में हो पाई है.

प्रतिकूल मौसम की घटनाओं के चलते महंगाई

आज फिक्की-आईबीए के कार्यक्रम में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि, “आरबीआई पूरी तरह से केंद्रित है और अर्जुन की नजर चार प्रतिशत मुद्रास्फीति के लक्ष्य पर है. महंगाई ग्लोबल फैक्टर और प्रतिकूल मौसम की घटनाओं से खाद्य पदार्थों की कीमतों में आने वाले झटकों को लेकर संवेदनशील बनी हुई है.”

जाहिर है, आने वाले हफ्तों में महंगाई के मोर्चे पर चुनौती बड़ी हो सकती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *