कार्यशाला में जूनोटिक रोगों के रोकथाम व नियंत्रण के लिए विभिन्न विभागों में समन्वय और कार्ययोजना पर की गई चर्चा
स्वास्थ्य विभाग द्वारा आज जूनोटिक रोगों के सर्वेलेंस एवं डॉटा एकीकरण के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। रायपुर के एक निजी होटल में आयोजित कार्यशाला में जूनोटिक रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए विभिन्न विभागों में समन्वय और कार्ययोजना पर चर्चा की गई। स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त डॉ. सी.आर. प्रसन्ना, महामारी नियंत्रण के संचालक डॉ. सुभाष मिश्रा, एकीकृत रोग नियंत्रण कार्यक्रम (IDSP) के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. धर्मेन्द्र गहवई, पशु चिकित्सा विभाग के रोग जांच प्रयोगशाला में सहायक सर्जन डॉ. नलिन शर्मा, वन तथा जलवायु परिवर्तन विभाग के डॉ. राकेश वर्मा, एम्स (AIIMS) रायपुर में माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्राध्यापक डॉ. अनुदिता भार्गव तथा जपाइगो संस्था के राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. परवेज मेमन भी कार्यशाला में शामिल हुए।
कार्यशाला में जूनोटिक रोगों के रोकथाम और नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग, पशु चिकित्सा विभाग और वन तथा जलवायु परिवर्तन विभाग के बीच आपसी समन्वय पर विस्तार से चर्चा की गई। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने प्रदेश में जानवरों और मनुष्यों के बीच फैलने वाली बीमारियों के पूर्वानुमान, सर्विलेंस तथा इन पर नियंत्रण के लिए अपने सुझाव दिए। एकीकृत रोग नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. धर्मेन्द्र गहवई ने आईडीएसपी के अंतर्गत किए जाने वाले विभिन्न जूनोटिक बीमारियों के सर्वेलेंस के बारे में प्रस्तुतिकरण दिया। एम्स की डॉ. अनुदिता भार्गव ने जूनोटिक रोगों की जाँच के लिए उपलब्ध सुविधाओं के बारे में बताया। पशु चिकित्सा विभाग के डॉ. नलिन शर्मा ने कार्यशाला में पशुओं में पाए जाने वाले विभिन्न जूनोटिक रोगों के बारे में जानकारी दी। वन विभाग के डॉ. राकेश वर्मा ने जूनोटिक रोगों की निगरानी के लिए वाइल्ड लाइफ़ सर्वेलेंस के बारे में बताया।