जयराम रमेश ने कहा कि उस संभावित स्थिति और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले, प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य चुनाव आयोग को ‘नियंत्रित’ करना है.

नई दिल्ली: 

भारत के मुख्य न्यायाधीश को देश के शीर्ष चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया से बाहर रखे जाने से जुड़े केंद्र के प्रस्तावित विधेयक पर विवाद है. इस बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखा 2012 का एक पत्र साझा किया है. पत्र में ऐसी नियुक्तियों की निगरानी के लिए एक व्यापक कॉलेजियम के निर्माण का प्रस्ताव दिया गया था.

गुरुवार को राज्यसभा में पेश किए गए विधेयक में प्रस्ताव है कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के पैनल की सिफारिशों के आधार पर चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों की नियुक्ति होगी.

यह प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट के मार्च के फैसले के बिल्कुल विपरीत है, जिसमें कहा गया था कि पैनल में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होने चाहिए.

आडवाणी के पत्र में कहा गया, “एक संवैधानिक निकाय के रूप में चुनाव आयोग के कामकाज में स्वतंत्रता की अनुमति देने के लिए, मुख्य चुनाव आयुक्तों के साथ-साथ चुनाव आयुक्तों के कार्यालय को कार्यकारी हस्तक्षेप से अलग रखना होगा.”

केंद्र के कदम का विरोध करते हुए, रमेश ने कहा, “मोदी सरकार द्वारा लाया गया सीईसी विधेयक न केवल आडवाणी के प्रस्ताव के खिलाफ है, बल्कि 2 मार्च, 2023 के 5 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ के फैसले को भी पलट देता है.”

चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे 65 साल की आयु पूरी होने पर 14 फरवरी, 2024 को सेवानिवृत्त होंगे. इससे अगले साल की शुरुआत में चुनाव पैनल में एक जगह खाली होगी.

उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “चुनावी साल में मोदी सरकार की ओर से यह बात इस विचार को और मजबूत करती है कि नरेंद्र मोदी चुनाव आयोग पर नियंत्रण करना चाहते हैं.”

विपक्षी सदस्यों की कड़ी आपत्तियों के बावजूद, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने विधायी कार्य संभाला और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विधेयक पेश किया.

सुप्रीम कोर्ट के मार्च के फैसले से पहले, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *