अमिताभ बच्चन के एक सुपरहिट फिल्म की कहानी जया बच्चन ने लिखी थी. इस फिल्म से जया को कोई फायदा नहीं हुआ था, जिसके बाद उन्होंने लिखना छोड़ दिया. आपको जानकर हैरानी होगी कि बिग बी का सबसे मशहूर डायलॉग जया ने ही लिखा है.
नई दिल्ली :
अमिताभ बच्चन की दमदार आवाज, बेहतरीन एक्टिंग के तो सब फैन हैं. बिग बी की चाहत लोगों के दिलों में कितनी है, ये बात भी किसी से छिपी नहीं है. लेकिन अगर बात हुनर की हो तो उनकी पत्नी और एक्ट्रेस जया बच्चन भी कुछ कम नहीं हैं. बात चाहे फिल्मों की हो या राजनीति के मैदान में, हर जगह जया बच्चन का दमखम देखने को मिलता है. उनका एक और हुनर है, जिससे ज्यादातर लोग अनजान हैं. बेहतरीन अदाकारा जया बच्चन गजब की लेखक भी हैं. अपने करियर में उन्होंने एक ही फिल्म की कहानी लिखी. उनकी कहानी ने बिग बी को बॉलीवुड का ‘शहंशाह’ बना दिया.
जया बच्चन ने बनाया बिग बी को बॉलीवुड का ‘शहंशाह’
जया बच्चन ने एक ही फिल्म की कहानी लिखी है, लेकिन ये कहानी अमिताभ बच्चन के करियर के लिए काफी अहम बन गई. इस फिल्म ने अमिताभ को बॉलीवुड में बिल्कुल नई पहचान दी. आजतक अमिताभ बच्चन को उसी नाम से जाना जाता है. फिल्म का एक डायलॉग तो हर किसी की जुबान पर है. बच्चा-बच्चा उसे बिग बी के अंदाज में बोल जाता है. हम जिस डायलॉग के बारें में आपको बता रहे हैं, वह है ‘रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं नाम है …’. अब तो समझ गए होंगे कि हम किस फिल्म और किस किरदार की बात कर रहे हैं.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘शहंशाह’ की. साल 1988 में आई टीनू आनंद की इस फिल्म ने तो धमाल ही मचा दिया था. ये फिल्म अमिताभ के करियर की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक थी और इसी की बदौलत वे बॉलीवुड के ‘शहंशाह’ बन गए. ये उनकी सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक मानी जाती है. फिल्म का आइकॉनिक डायलॉग और कमाल का कॉस्टयूम आज भी बच्चे-बच्चे को याद है. इस फिल्म ने मीनाक्षी शेषाद्री और अमिताभ बच्चन के करियर को नई बुलंदियों पर पहुंचा दिया था.
जया बच्चन ने क्यों छोड़ दिया लिखना
फिल्म की कहानी जया बच्चन ने लिखी. फिल्म के लीड एक्टर्स की किस्मत भी चमक गई लेकिन जया बच्चन को इसका खास फायदा हुआ नहीं. कहा जाता है कि इस फिल्म के बाद जया ने फिल्मों की कहानी लिखने से मुंह मोड़ लिया. सिर्फ और सिर्फ अपनी एक्टिंग पर फोकस किया. शायद यह इसलिए भी रहा होगा, कि उन दिनों फिल्मों की कहानी लिखने वालों की कमाई और सफलता कुछ ज्यादा नहीं मानी जाती थी.