सरकार इन आरोपों को “वैज्ञानिक सबूत के बिना अटकलें और अफवाह” कहकर नकार रही है, लेकिन एनडीटीवी के पास फुटेज है, जिसमें अधिकारी एक मृत चीते के कॉलर की जांच करते हुए दिख रहे हैं.

भोपाल: मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में आठ चीतों की मौत हो गई है और कुछ एक्सपर्ट इन मौतों का कारण जानवरों को दिए गए घटिया रेडियो कॉलर को मानते हैं. हालांकि सरकार इन आरोपों को “वैज्ञानिक सबूत के बिना अटकलें और अफवाह” कहकर नकार रही है, लेकिन एनडीटीवी के पास फुटेज है, जिसमें अधिकारी एक मृत चीते के कॉलर की जांच करते हुए दिख रहे हैं.

कूनो में नर चीते सूरज के रेडियो कॉलर को हटाने पर उसके गर्दन के नीचे संक्रमण फैला हुआ था और गहरे घाव में कीड़े भरे हुए थे. सूरज 8वां चीता है, जिसकी कूनों में मौत हुई है. कूनो के सभी चीतों के पास अफ़्रीकी वन्यजीव ट्रैकिंग रेडियो कॉलर है. हालांकि कई विशेषज्ञ इस कॉलर में लगे बेल्ट की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठा रहे हैं.

सेवानिवृत्त आईएएएफएस, आर श्रीनिवास मूर्ति ने कहा कि ये हो सकता है, पन्ना में हमें इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा था. वहां हमारी मॉनिटरिंग 247 थी, लेकिन यहां मॉनिटरिंग का रूटीन क्या था, इसके बारे में मुझे नहीं पता. अगर बेल्ट सिंथेटिक मेटेरियल का है तो उसे फौरन चमड़े से रिप्लेस करना चाहिए. क्योंकि इंफेक्शन होने से वो खुजली करते हैं, मौसम में नमी और बारिश होने पर इसकी वजह से वो बहुत असहज महसूस करते हैं. खुद को ज्यादा घाव पहुंचा लेते हैं. टाइगर को भी मैगट हुआ था. लेकिन हमने मॉनिटरिंग की वजह से मौत नहीं होने दी.

एक सूत्र के अनुसार, सूरज की मौत के बाद एक और चीता (पवन) को बेहोश कर दिया गया और सोमवार को उसका रेडियो कॉलर हटा दिया गया, जिससे संभवतः उसकी जान बच गई. उसकी गर्दन के घाव पर मक्खियां पहले ही अंडे दे चुकी थीं. अगर चीते का इलाज नहीं किया जाता तो कीड़े लगने से पवन की मौत हो सकती थी.

हालांकि एनटीसीए ने एक प्रेस रिलीज जारी कर बताया है कि मीडिया में ऐसी रिपोर्टें हैं, जिनमें चीतों की मौत के लिए उनके रेडियो कॉलर समेत अन्य कारणों को जिम्मेदार ठहराया गया है. ऐसी रिपोर्टें किसी वैज्ञानिक प्रमाण पर आधारित नहीं हैं बल्कि अटकलें और अफवाहें हैं.

इन सवालों के बीच सरकार ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जेएस चौहान का तबादला कर दिया है, जबकि कॉलर का मुद्दा हल नहीं हुआ. चौहान ने ही कुछ दिनों पहले चीतों को कहीं और भी बसाने का सुझाव दिया था.

पूर्व पीसीसीएफ (वन्यजीव) जे एस चौहान ने कहा कि हमारे सारे चीता जो फेज में आये हैं वो कूनो में है, जो ऐसा है कि सारे अंडे एक बास्केट में हैं, चीता को लंबे समय तक रखने के लिये भौगोलिक रूप से अलग-अलग इलाकों में रखऩा चाहिए जो एक इंश्योरेंस की तरह काम करे.

बता दें कि 27 मार्च को, साशा नाम की मादा चीता की किडनी की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई. 23 अप्रैल को, उदय की, 9 मई को दक्षा की मौत हुई, 23-25 मई के बीच कूनो में जन्मे 3 शावकों की मौत हो गई. वहीं, 11 जुलाई को एक नर चीता तेजस मृत पाया गया. अब कुनो में केवल 15 चीते हैं, जिनमें से 11 खुले जंगलों में और 1 शावक सहित चार चीते बाड़ों में हैं.

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