सांड को दूल्हे की तरह तो गाय को मेहंदी, हल्दी लगाकर दुल्हन की तरह सजाया गया. गाजे-बाजे के साथ सांड की बारात निकली और कार्यक्रम स्थल तक पहुंची. मंडप के तले वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सांड और गाय के विवाह की रस्म हुई.

जयपुर: 

राजस्थान के शाही महलों मे फिल्मी सितारों की शादियों के बारे में आप अक्‍सर सुनते होंगे. हालांकि राजस्थान में एक ऐसी अनोखी शादी हुई है, जिसके बारे में आपने न सुना होगा और न ही देखा होगा. दरअसल, यहां पर एक सांड और एक गाय को शादी के बंधन में बांध दिया गया. ये अजीबोगरीब वाकया सीकर जिले के फतेहपुर शेखावाटी में सामने आया है. गाय और सांड की शादी धूमधाम से हुई, जिसमें बाकायदा बारात आई, मंत्रोच्‍चार हुआ और पांच पंडितों के सानिध्‍य में दोनों के सात फेरे भी हुए.

इस शादी को संपन्‍न कराने के लिए गौ वृषभ यज्ञ फतेहपुर के पंडित अमित पुजारी और 5 अन्‍य पंडितों को बुलाया गया था. कलश और वेदियां बनाई गई. यज्ञ हवन हुआ, जिसमें पिंजरापोल गौशाला के सदस्यों और  देवड़ा परिवार ने आहूतियां दी.

शहर के मण्‍डावा रोड स्थित फतेहपुर राज पिंजरापोल सोसायटी के 1154 गौवंशों की गौशाला में से दो गायों और दो नंदियों की अनूठी शादी रचाई गई. जिसमें दूल्‍हा सांड थारपारकर नस्ल का है, जिसे राजस्थान के गंगानगर जिले के सूरतगढ़ से लाया गया है. जिससे फतेहपुर के गौशाला की गायों की नस्ल मे सुधार होगा. शादी पूरी तरह उन्हीं रस्मों के आधार पर संपन्न कराई गई जैसे आम विवाह होते हैं.

मुख्य यजमान दुर्गा प्रसाद और विजयकुमार देवड़ा के परिवारजनों ने धार्मिक विधि-विधान और विवाह के रीति-रिवाजों के अनुरूप पूरी तैयारी की थी. साथ ही उन्‍होंने शादी में कन्यादान किया.

दुल्हन के वेश में सजी थी गाय
पूरे इंतजाम कर बाकायदा मंडप तैयार किया गया. सांड को दूल्हे की तरह तो गाय को मेहंदी, हल्दी लगाकर दुल्हन की तरह सजाया गया. गाजे-बाजे के साथ सांड की बारात निकली और कार्यक्रम स्थल तक पहुंची. मंडप के तले वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सांड और गाय के विवाह की रस्म हुई.

इसलिए करवाया जाता है यह विवाह
पंडित अमित पुजारी ने बताया कि गाय और सांड का विवाह पितरों की शांति और वंश वृद्धि के लिए करवाया जाता है. विवाह के पश्चात गाय और सांड दोनों को गौशाला में छोड़ दिया गया.

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