मेनन ने कहा कि शुरुआती दो साल में भारतीय उप-महाद्वीप में अंपायरिंग करना बहुत ही शानदार अनुभव रहा है. इसमें टेस्ट मैचों से अलग दुबई में और ऑस्ट्रेलिया में खेले गए टी20 विश्व कप में अंपायरिंग करना भी शामिल है.

नई दिल्ली: 

बहुत ही ज्यादा लंबे समय बाद भारतीय अंपायरों के लिए बड़ी उपलब्धि आयी है. हालिया समय में घरेलू मैचों में अंपायरिंग करने वाले नितिन मेनन (Nitin Menon) ने खासी पहचान बनायी है. और यह उनकी अच्छी परफॉर्मेंस का ही असर है कि अब नितिन अगले महीने महीने शुरू हो चुकी सीरीज में अपने एशेज डेब्यू का इंतजार कर रहे हैं. मेनन ने कहा कि शुरुआती दो साल में भारतीय उप-महाद्वीप में अंपायरिंग करना बहुत ही शानदार अनुभव रहा है. इसमें टेस्ट मैचों से अलग दुबई में और ऑस्ट्रेलिया में खेले गए टी20 विश्व कप में अंपायरिंग करना भी शामिल है.

उन्होंने कहा कि मैं सर्वश्रेष्ठ मैच अधिकारियों के साथ काम  कर रहा हूं. और मेरे अंपायरिंग अनुभव में खिलाड़ियों का भी योगदान रहा है. मैंने खुद के व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ सीखा है. मसलन कि दबाव के पलों में मैं कैसे काम करता हूं, वगैरह-वगैरह. ऐसे में सकारात्मक बातें बहुत ज्यादा हैं. आईसीसी की इलीट पैनल के सदस्य मेनन ने स्वीकारा कि भारत के मैचों में अंपायरिंग करने के साथ चुनौतियां भी अपने आप जा जाती हैं. बड़े खिलाड़ी फिफ्टी-फिफ्टी निर्णय अपने पक्ष में लेने के लिए अंपायरों पर दबाव बनाते हैं.

उन्होंने कहा कि जब भारत अपनी धरती पर खेलता है, तो बहुत ही ज्यादा हाइप बनती है. टीम इंडिया में कई बड़े सितारे हैं. और वे हमेशा ही आप पर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं. वे हमेशा ही फिफ्टी-फिफ्टी निर्णय अपने पक्ष में लेने की कोशिश करते हैं, लेकिन अगर हमारा दबाव के पलों में खुद पर नियंत्रण रहात है, तो हम इस पर ध्यान नहीं देते कि वे क्या करने की कोशिश कर रहे हैं.

मेनन ने कहा कि यह दिखाता है कि मैं खिलाड़ियों द्वारा बनाए गए दबाव में प्रभावित होने के बजाय हालात से निपटने के लिए खासा मजबूत हूं. इस बात ने मुझे बहुत ही ज्यादा आत्मविश्वास प्रदान किया है. इलीट पैनल में शामिल फिलहाल इकलौते भारतीय अंपायर नितिन मेनन ने कहा कि पिछले कुछ सालों ने उनके विकास में काफी मदद की है. भारत में अग्रणी अंतरराष्ट्रीय अंपायरों का नेतृत्व करना एक बड़ी जिम्मेदारी रही है. शुरुआत (जब इलीट पैनल में इंट्री हुयी थी) में मेरे पास ज्यादा अनुभव नहीं था, लेकिन पिछले तीन सालों ने मेरे बतौर अंपायर विकास में खासी मदद की है.

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