चिन्हांकित 108 बच्चों को मिलेगा योजना का लाभ

बच्चों के समुचित पुनर्वास और एक सफल नागरिक बनने में मददगार होगी मुख्यमंत्री बाल उदय योजना : डॉ. किरणमयी नायक

राज्य स्तरीय कार्यशाला सम्पन्न

छत्तीसगढ़ में बाल देखरेख संस्था से बाहर जाने वाले बालकों के जीवन को सही दिशा देने के लिए मुख्यमंत्री बाल उदय योजना शुरू की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य बालकों की देखरेख, समुचित पुनर्वास और एक सफल नागरिक के रूप में उनको स्थापित करना है। योजना के तहत राज्य में संचालित 69 बाल देखरेख संस्थाओं के 108 बच्चों को लाभान्वित किया जाएगा। यह जानकारी आज महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से रायपुर के लाभांडी में मुख्यमंत्री बाल उदय योजना पर आयोजित एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला में दी गई। यहां योजना के संबंध में विस्तृत जानकारी देने के साथ उसके क्रियान्वयन की प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा की गई।

कार्यशाला का शुभारंभ छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती किरणमयी नायक ने किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बाल उदय योजना छत्तीसगढ़ की अनूठी योजना है, जो बच्चों को अपराधी बनने से रोक कर एक सुनहरे भविष्य की ओर आगे बढ़ाती है। योजना के तहत बच्चों की परवरिश समुचित रूप से होने से वे एक जिम्मेदार नागरिक बनेंगे और भविष्य में छत्तीसगढ़ के विकास में भी सहयोग करेंगे। उन्होंने हायर सेकेण्डरी स्कूलों और कॉलेजों में प्री-मैरिज कॉउंसलिंग की व्यवस्था शुरू करने का प्रस्ताव भी दिया, जिससे परिवारों में आ रहे बिखराव को कम किया जा सके।

विभागीय संचालक श्रीमती दिव्या मिश्रा ने बताया कि बाल देखरेख संस्थाओं में निवासरत बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए राज्य द्वारा उल्लास, उजियार, उम्मीद और उमंग कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसे आगे बढ़ाते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया के मार्गदर्शन में उदय अर्थात मुख्यमंत्री बाल उदय योजना का शुरू की गई है। यह बाल देखरेख संस्थाओं से बाहर जाने वाले बालकों के भविष्य के उदय का सूचक है। मिशन वात्सल्य के अंतर्गत बच्चों के आफ्टर केयर के लिए 4 हजार रूपए के आर्थिक सहयोग का प्रावधान है। राज्य के 12 बच्चे पोषण देखरेख कार्यक्रम अंतर्गत परिवारों को दिए गए हैं। राज्य के गैर-संस्थागत देखरेख के 600 से अधिक बच्चों को विकास और शिक्षा के लिए प्रतिमाह 4 हजार रूपए दिए जा रहे है।
बच्चों के संस्थाओं से निकलने के बाद पहली जरूरत आवास और फिर जीवन यापन की होती है। मुख्यमंत्री बाल उदय योजना के तहत संस्थाओं से बाहर निकलने वाले बच्चों के कौशल उन्नयन, उच्च शिक्षा सहित व्यावसायिक प्रशिक्षण की भी व्यवस्था राज्य सरकार ने की है। साथ ही आवास हेतु एक हजार रूपए की आर्थिक सहायता का भी प्रावधान किया गया है। मिशन वात्सल्य के अंतर्गत दिए जा रहे 4 हजार रूपए के अतिरिक्त 3 हजार रूपए मुख्यमंत्री बाल उदय योजना से लाभान्वित बालकों को दिया जाएगा।
कार्यशाला के तकनीकी सत्र में व्यावसायिक और कौशल प्रशिक्षण संबंधित जानकारी देने के साथ प्रारूपों और दस्तावेजीकरण पर चर्चा की गई और जिला अधिकारियों के प्रश्नों और जिज्ञासाओं का निराकरण भी किया जाएगा।
इस अवसर पर यूनिसेफ के स्टेट हेड श्री जॉब जकारिया सहित जिलों से आए कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास अधिकारी, जिला बाल संरक्षण अधिकारी, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष, बाल देखरेख संस्थाओं के अधीक्षक, प्रभारी, बाल कल्याण अधिकारी उपस्थित थे।

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